Home देश गलवां में झड़प के बाद वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख पहुंचाए 68000 जवान

गलवां में झड़प के बाद वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख पहुंचाए 68000 जवान

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गलवां में झड़प के बाद वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख पहुंचाए 68000 जवान

Pragati Bhaarat:

गलवां में झड़प के बाद वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख पहुंचाए 68000 जवान

वायुसेना ने गलवां घाटी में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तत्काल तैनाती के लिए 68,000 से अधिक सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में पहुंचाया। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि सैनिकों के अलावा 90 से अधिक टैंक, पैदल सेना के करीब 330 बीएमपी लड़ाकू वाहन, रडार प्रणाली, तोपें और कई अन्य साजोसामान को भी ‘एयरलिफ्ट’ कर इस दुर्गम इलाके में पहुंचाया था।

सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच जून 2020 को हुई भीषण सैन्य झड़प के चलते वायुसेना ने अपने लड़ाकू विमानों के कई स्क्वाड्रन को ‘तैयार स्थिति’ में रखा था। इसके अलावा चीन के जमावड़े व गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी तथा खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए अपने एसयू-30 एमकेआई और जगुआर लड़ाकू विमान को क्षेत्र में तैनात किया था।

वायुसेना की रणनीतिक ‘एयरलिफ्ट’ क्षमता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक विशेष अभियान के तहत एलएसी के साथ विभिन्न दुर्गम क्षेत्रों में त्वरित तैनाती के लिए वायुसेना के परिवहन बेड़े ने सैनिकों और हथियारों को बहुत कम समय के अंदर पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि बढ़ते तनाव के चलते वायुसेना ने चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिमोट संचालित विमान (आरपीए) भी तैनात किए थे।

सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर का हुआ इस्तेमाल
वायुसेना के परिवहन बेड़े ने कुल 9,000 टन की ढुलाई की गई और यह वायुसेना की बढ़ती रणनीतिक ‘एयरलिफ्ट’ क्षमताओं को दिखाती है। इस कवायद में सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर विमान भी शामिल थे। झड़प के बाद हवाई गश्त के लिए राफेल और मिग-29 विमानों सहित बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया था, जबकि वायुसेना के विभिन्न हेलिकॉप्टर को गोला-बारूद और सैन्य साजोसामान को पर्वतीय ठिकानों तक पहुंचाने के काम में लगाया गया था।

चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर रखी गई पैनी नजर
सूत्रों ने कहा कि एसयू-30 एमकेआई और जगुआर लड़ाकू विमानों की निगरानी की सीमा करीब 50 किमी थी। इन विमानों ने सुनिश्चित किया कि चीनी सैनिकों की स्थिति और गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जाए। वायुसेना ने विभिन्न रडार स्थापित कर और क्षेत्र में एलएसी के अग्रिम ठिकानों पर सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों की तैनाती कर अपनी वायु रक्षा क्षमताओं और युद्ध की तैयारी को तेजी से बढ़ाया है।

बेहद कठिन परिस्थितियों में भी मिशन पूरे किए
वायुसेना प्लेटफॉर्म ने बेहद कठिन परिस्थितियों में काम किया और अपने सभी मिशन पूरे किए। एक अन्य सूत्र ने कहा कि ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान की तुलना में समग्र ऑपरेशन ने भारतीय वायुसेना की बढ़ती ‘एयरलिफ्ट’ क्षमता को प्रदर्शित किया। दिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ शुरू किया था, जिसके तहत उसने नियंत्रण रेखा पर भारी संख्या में सैनिकों को लामबंद किया था।

वायुसेना प्लेटफॉर्म ने बेहद कठिन परिस्थितियों में काम किया और अपने सभी मिशन पूरे किए। एक अन्य सूत्र ने कहा कि ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान की तुलना में समग्र ऑपरेशन ने भारतीय वायुसेना की बढ़ती ‘एयरलिफ्ट’ क्षमता को प्रदर्शित किया। दिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ शुरू किया था, जिसके तहत उसने नियंत्रण रेखा पर भारी संख्या में सैनिकों को लामबंद किया था।

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