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ऊर्जा क्षेत्र की आज की हालत पर

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ऊर्जा क्षेत्र की आज की हालत पर

*निष्पक्ष लेख*

( ऊर्जा क्षेत्र की आज की हालत पर )

-केन्द्रीय महासचिव की कलम से✍

 

शीर्षक:-

*”गिरती मानवीयता एवं बढ़ते अन्याय”*

—————————————————————–

*”कैसे रुकेंगी  बिजली-कर्मियो के साथ मारपीट की घटनाए”*

कैसे बचेगी मानवता,

और कैसे रहेगा शिष्टाचार

*”कैसे बढ़ेगा बिजली उद्यम”*

“आये इस पर करे विचार”।

 

*भाग -1*

—————–

*आये हम सब करे विचार*

हम निश्चय ही ऊर्जा क्षेत्र के विकास, संवर्द्धन एवं सतत बेहतर लक्ष्य प्राप्ति हेतु संकल्पित है,

हमे बेहतर विद्युत उपभोक्ता सेवा, निर्बाध आपूर्ति,बेहतर राजस्व वसूली एवं विद्युत चोरी पर प्रभावी रोकथाम किये जाना हमारा प्रथमत: दायित्व है।

 

इस दायित्व निर्वहन मे मूलत: त्रि-अंग है

*शिखर प्रबंधन*

|

*मध्यम प्रबंधन*

|

*धरातल पर कार्यरत कार्मिक*

कर्मचारी/जूनियर इन्जीनियर्स एवं अभियंता)

सबके अलग-अलग कार्य दायित्व निर्धारित।

 

*शिखर प्रबंधन*

————————

शिखर प्रबंधन का प्रथमत: दायित्व ;

~आवश्यक संसाधन मुहैया कराये जाने हेतु नीति निर्माण,आर्थिक व्यवस्था उपलब्ध कराए जाना

~ कार्य का बेहतर वातावरण बनाये जाना जिसमे मूल रुप से कार्मिको के हौसले को आफजाई रखने के लिये उसे सुरक्षा प्रदान करना

~ कार्मिको के सेवा शर्तो को बेहतर बनाये की दिशमे सतत प्रयास करना एवं उनमे अपनत्व का भाव पैदा करना।

~ उपरोक्त व्यवस्था एवं वातावारण के उपल्बधता के बावजूद परिणाम प्राप्त न होने पर प्रशासनिक कार्यवाही सुनिश्चित किये जाना।

~अच्छे कार्य करने वाले कार्मिको को प्रोत्साहित करना।

*-मध्यम प्रबंधन-*

~शिखर प्रबंधन द्वारा निर्मित नीतियो को क्रियान्वयन कराये जाने हेतु अधीनस्थ को निर्देशित करना

~ धरातल पर आ रही व्यावहारिक कठिनाईयो का यथासम्भव निराकरण करना एवं जिनके निराक रण न हो सके उनके सम्बंध मे अपनी सकारात्मक संस्तुतियो सहित शिखर प्रबंधन को अग्रसरित करना।

~संशाधनो की व्यवस्था सुनिश्चत कर लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु विशेष प्रयास करना एवं कराना।

 

*-धरातल के कार्मिक-*

~ लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु शिखर एवं मध्यम प्रबंधन के दिशा-निर्देशो को धरातल पर क्रियान्वयन किये जाने का हरसंभव प्रयास करना।

~ निर्धारित लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु अन्य बेहतर सुझाव प्रस्तुत करना।

 

— *इसके इतर आजकल हो क्या रहा है कृपया इस पर अवश्य गौर करे*–

*अव्यावहारिक समीक्षाये*

————————————

~ आवश्यक न्यूनतम संसाधनो की उपलब्धता का व्यापक अभाव की समीक्षा न होना एवं न ही इसके विरुद्ध किसी का दायित्व निर्धारण किये जाना।

भंडार गृहो मे आवश्यक सामग्री प्रबंधन का दायित्व सीधे शिखर स्तर  पर होने के बावजूद भन्डार गृहो मे अनुरक्षण हेतु सामग्रियो का घोर अभाव है,

*सभी Discoms/निगमो/कार्पोरेशन मे कार्मिक नियोजन व्यवस्था बिल्कुल समाप्तप्राय* जैसी स्थिति,

कार्मिक इकाई सीधे निगम/कार्पोरेशन के मुखिया के नियन्त्रण मे होने के बावजूद *इस इकाई का कार्य सिर्फ अनुशासनिक कार्यवाहियो की संख्या कैसे बढ़े एवं अधिकतम दण्ड कैसे मिल सके मात्र यही तक उनके शोध  सीमित है।*

कार्मिको को बेहतर सुरक्षा संरक्षा एवं कार्य का वातावारण दिया जाये इस पर चिन्तन बिल्कुल शून्य सा है।

~क्षेत्रो मे स्थापित उत्पादन मशीने, विद्युत गृहो एवं उपस्थानो के जर्जर हालत की समीक्षा न किये जाना।

~ *तकनीकी लेखा*(Technical Audit) का कोई  निर्धारित Schedule न होना।

~ *क्षेत्रो मे आये दिन हो रही मारपीट की घटनाओ के विरुद्ध अभियुक्तो के विरुद्ध प्रभावी  कार्यवाही किये जाने की समीक्षा न होना।*

 

*भाग-2*

————-

 

*उपरोक्त परिस्थितियो मे*

विद्यत उत्पादन के लक्ष्य, पारेषण मे ट्रिपिंग शून्य, वितरण मे निर्बाध विद्युत आपूर्ति व राजस्व वसूली के लक्ष्यो की शत प्रतिशत प्राप्ति की अव्याहरिक समीक्षा पर समीक्षा

*कभी सुबह VC  तो कभी शाम मे अब तो प्राय: रात मे VC*

 

*समीक्षा की परिभाषा,आधार एवं समदृष्टि/*

– किसी निर्धारित लक्ष्यो की प्रगति, प्राप्ति, उपलब्धि एवं अनुपलब्धि के आंकड़ों की विस्तृत जानकारिया प्राप्त किये जाने एवं तद्नुसार अग्रेतर कार्ययोजना/कार्य नीति निर्धारित किये जाने हेतु सम्पन्न बैठक समीक्षा बैठक कहलाती है।

*समीक्षा के आधार*

1-लक्ष्य निर्धारण

2-लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक संसाधन

3- टीम वर्क

4- कार्य का वातावरण

5- कड़ी मेहनत नेक इरादा,लगन व निष्ठापूर्वक सकारात्मक सोच के साथ ईमानदार प्रयास

 

*समदृष्टि*

समीक्षा करते समय उपरोक्त मे से कोई एक भी बिन्दु को छोड़कर अव्यावहरिक  समीक्षाये किया जाना समदृष्टि के विपरीत होता है।

इससे निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति किया जाना व्यावहारिक रुप से सम्भव नही होता।

इस प्रकार  प्रबंधकीय क्षमता मे ह्रास के साथ धरातल के कार्मिको मे निराशा का वातावरण व्याप्त होता है।

यह स्थिति दुहरी असफलता क्रमश: प्रबंधकीय असफलता एवं कार्मिक कार्य क्षमता को कमजोर करने को बल प्रदान करता है।

 

*शिखर स्तर पर निर्धारित सिद्धांतो एवं व्यावहारिक मूल्यो मे लगातार गिरावट*

असफलताओ का पारदर्शी विश्लेषण किये जाने के बजाय उसका ठीकरा सीधे निचले स्तर के कार्मिको पर डालकर इति श्री किये जाने का प्रचलन जोरो पर है।

अब तो हालत यहा तक आ गये है बिजली चोरो का चेकिंग टीमो पर प्राणलेवा हमले चरम पर पर

बिजली कर्मियो के साथ मारपीट  की घटनाओ पर नियन्त्रण पाये जाने पर कार्यवाहियो की समीक्षा शून्य जैसी स्थिति मे है,

ऊर्जा का शिखर प्रबंधन, शासन एवं जिला प्रशासन के समक्ष बिल्कुल असहाय जैसी हालत मे••••

 

आखिरकार,

*”कैसे रुकेंगी ये मारपीट की घटनाए”*

*”कैसे बढ़ेगा बिजली उद्यम”*

 

आये हम सब मिलकर संकल्प लेवे

*जो विभाग ने हमे रोटी,कपड़ा,और मकान से लेकर कफन तक की व्यवस्था करता है इसके सुधार के लिये  लिये हम सतत प्रयास करेंगे* एवं इसके पतन  एवं पतन कारको के विरुद्ध सदैव एकताबद्ध होकर संघर्ष जारी रखेंगे।

 

*जय हिन्द !;जय ऊर्जा परिवार! जय भारत!*

-इं•जय प्रकाश

*केन्द्रीय महासचिव*

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन,उप्र।

*निष्पक्ष लेख*
( ऊर्जा क्षेत्र की आज की हालत पर )
-केन्द्रीय महासचिव की कलम से✍

शीर्षक:-
*”गिरती मानवीयता एवं बढ़ते अन्याय”*
—————————————————————–
*”कैसे रुकेंगी बिजली-कर्मियो के साथ मारपीट की घटनाए”*
कैसे बचेगी मानवता,
और कैसे रहेगा शिष्टाचार
*”कैसे बढ़ेगा बिजली उद्यम”*
“आये इस पर करे विचार”।

*भाग -1*
—————–
*आये हम सब करे विचार*
हम निश्चय ही ऊर्जा क्षेत्र के विकास, संवर्द्धन एवं सतत बेहतर लक्ष्य प्राप्ति हेतु संकल्पित है,
हमे बेहतर विद्युत उपभोक्ता सेवा, निर्बाध आपूर्ति,बेहतर राजस्व वसूली एवं विद्युत चोरी पर प्रभावी रोकथाम किये जाना हमारा प्रथमत: दायित्व है।

इस दायित्व निर्वहन मे मूलत: त्रि-अंग है
*शिखर प्रबंधन*
|
*मध्यम प्रबंधन*
|
*धरातल पर कार्यरत कार्मिक*
कर्मचारी/जूनियर इन्जीनियर्स एवं अभियंता)
सबके अलग-अलग कार्य दायित्व निर्धारित।

*शिखर प्रबंधन*
————————
शिखर प्रबंधन का प्रथमत: दायित्व ;
~आवश्यक संसाधन मुहैया कराये जाने हेतु नीति निर्माण,आर्थिक व्यवस्था उपलब्ध कराए जाना
~ कार्य का बेहतर वातावरण बनाये जाना जिसमे मूल रुप से कार्मिको के हौसले को आफजाई रखने के लिये उसे सुरक्षा प्रदान करना
~ कार्मिको के सेवा शर्तो को बेहतर बनाये की दिशमे सतत प्रयास करना एवं उनमे अपनत्व का भाव पैदा करना।
~ उपरोक्त व्यवस्था एवं वातावारण के उपल्बधता के बावजूद परिणाम प्राप्त न होने पर प्रशासनिक कार्यवाही सुनिश्चित किये जाना।
~अच्छे कार्य करने वाले कार्मिको को प्रोत्साहित करना।
*-मध्यम प्रबंधन-*
~शिखर प्रबंधन द्वारा निर्मित नीतियो को क्रियान्वयन कराये जाने हेतु अधीनस्थ को निर्देशित करना
~ धरातल पर आ रही व्यावहारिक कठिनाईयो का यथासम्भव निराकरण करना एवं जिनके निराक रण न हो सके उनके सम्बंध मे अपनी सकारात्मक संस्तुतियो सहित शिखर प्रबंधन को अग्रसरित करना।
~संशाधनो की व्यवस्था सुनिश्चत कर लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु विशेष प्रयास करना एवं कराना।

*-धरातल के कार्मिक-*
~ लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु शिखर एवं मध्यम प्रबंधन के दिशा-निर्देशो को धरातल पर क्रियान्वयन किये जाने का हरसंभव प्रयास करना।
~ निर्धारित लक्ष्यो की प्राप्ति हेतु अन्य बेहतर सुझाव प्रस्तुत करना।

— *इसके इतर आजकल हो क्या रहा है कृपया इस पर अवश्य गौर करे*–
*अव्यावहारिक समीक्षाये*
————————————
~ आवश्यक न्यूनतम संसाधनो की उपलब्धता का व्यापक अभाव की समीक्षा न होना एवं न ही इसके विरुद्ध किसी का दायित्व निर्धारण किये जाना।
भंडार गृहो मे आवश्यक सामग्री प्रबंधन का दायित्व सीधे शिखर स्तर पर होने के बावजूद भन्डार गृहो मे अनुरक्षण हेतु सामग्रियो का घोर अभाव है,
*सभी Discoms/निगमो/कार्पोरेशन मे कार्मिक नियोजन व्यवस्था बिल्कुल समाप्तप्राय* जैसी स्थिति,
कार्मिक इकाई सीधे निगम/कार्पोरेशन के मुखिया के नियन्त्रण मे होने के बावजूद *इस इकाई का कार्य सिर्फ अनुशासनिक कार्यवाहियो की संख्या कैसे बढ़े एवं अधिकतम दण्ड कैसे मिल सके मात्र यही तक उनके शोध सीमित है।*
कार्मिको को बेहतर सुरक्षा संरक्षा एवं कार्य का वातावारण दिया जाये इस पर चिन्तन बिल्कुल शून्य सा है।
~क्षेत्रो मे स्थापित उत्पादन मशीने, विद्युत गृहो एवं उपस्थानो के जर्जर हालत की समीक्षा न किये जाना।
~ *तकनीकी लेखा*(Technical Audit) का कोई निर्धारित Schedule न होना।
~ *क्षेत्रो मे आये दिन हो रही मारपीट की घटनाओ के विरुद्ध अभियुक्तो के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही किये जाने की समीक्षा न होना।*

*भाग-2*
————-

*उपरोक्त परिस्थितियो मे*
विद्यत उत्पादन के लक्ष्य, पारेषण मे ट्रिपिंग शून्य, वितरण मे निर्बाध विद्युत आपूर्ति व राजस्व वसूली के लक्ष्यो की शत प्रतिशत प्राप्ति की अव्याहरिक समीक्षा पर समीक्षा
*कभी सुबह VC तो कभी शाम मे अब तो प्राय: रात मे VC*

*समीक्षा की परिभाषा,आधार एवं समदृष्टि/*
– किसी निर्धारित लक्ष्यो की प्रगति, प्राप्ति, उपलब्धि एवं अनुपलब्धि के आंकड़ों की विस्तृत जानकारिया प्राप्त किये जाने एवं तद्नुसार अग्रेतर कार्ययोजना/कार्य नीति निर्धारित किये जाने हेतु सम्पन्न बैठक समीक्षा बैठक कहलाती है।
*समीक्षा के आधार*
1-लक्ष्य निर्धारण
2-लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक संसाधन
3- टीम वर्क
4- कार्य का वातावरण
5- कड़ी मेहनत नेक इरादा,लगन व निष्ठापूर्वक सकारात्मक सोच के साथ ईमानदार प्रयास

*समदृष्टि*
समीक्षा करते समय उपरोक्त मे से कोई एक भी बिन्दु को छोड़कर अव्यावहरिक समीक्षाये किया जाना समदृष्टि के विपरीत होता है।
इससे निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति किया जाना व्यावहारिक रुप से सम्भव नही होता।
इस प्रकार प्रबंधकीय क्षमता मे ह्रास के साथ धरातल के कार्मिको मे निराशा का वातावरण व्याप्त होता है।
यह स्थिति दुहरी असफलता क्रमश: प्रबंधकीय असफलता एवं कार्मिक कार्य क्षमता को कमजोर करने को बल प्रदान करता है।

*शिखर स्तर पर निर्धारित सिद्धांतो एवं व्यावहारिक मूल्यो मे लगातार गिरावट*
असफलताओ का पारदर्शी विश्लेषण किये जाने के बजाय उसका ठीकरा सीधे निचले स्तर के कार्मिको पर डालकर इति श्री किये जाने का प्रचलन जोरो पर है।
अब तो हालत यहा तक आ गये है बिजली चोरो का चेकिंग टीमो पर प्राणलेवा हमले चरम पर पर
बिजली कर्मियो के साथ मारपीट की घटनाओ पर नियन्त्रण पाये जाने पर कार्यवाहियो की समीक्षा शून्य जैसी स्थिति मे है,
ऊर्जा का शिखर प्रबंधन, शासन एवं जिला प्रशासन के समक्ष बिल्कुल असहाय जैसी हालत मे••••

आखिरकार,
*”कैसे रुकेंगी ये मारपीट की घटनाए”*
*”कैसे बढ़ेगा बिजली उद्यम”*

आये हम सब मिलकर संकल्प लेवे
*जो विभाग ने हमे रोटी,कपड़ा,और मकान से लेकर कफन तक की व्यवस्था करता है इसके सुधार के लिये लिये हम सतत प्रयास करेंगे* एवं इसके पतन एवं पतन कारको के विरुद्ध सदैव एकताबद्ध होकर संघर्ष जारी रखेंगे।

*जय हिन्द !;जय ऊर्जा परिवार! जय भारत!*
-इं•जय प्रकाश
*केन्द्रीय महासचिव*
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन,उप्र।

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