spot_imgspot_imgspot_img
Homeदेशकत्युरी साम्राज्य में रियासत कालीन बाजार गांव क्षेत्र में एक मुखी दुर्लभ...

कत्युरी साम्राज्य में रियासत कालीन बाजार गांव क्षेत्र में एक मुखी दुर्लभ शिवलिंग का मिलना चर्चा का विषय है

Pragati Bhaarat:

आज कल लखमपुर ,चौखुटिया का हाट गाव जो कभी कत्युरी साम्राज्य में रियासत कालीन बाजार हुआ करता था इसीलिए इस गांव का नाम हाट पड़ा इस गांव क्षेत्र में विशाल 4 से 5 फीट इस एक मुखी दुर्लभ शिवलिंग का मिलना चर्चा का विषय है ,और यह मूर्ति समाचार पत्रों में छाया हुआ है ,पिछले वर्ष इसी क्षेत्र में विशाल गणेश की मूर्ति मिली थी, इस क्षेत्र में पौराणिक बहुत सी स्मृतियां दबी पड़ी है, जिसमें विस्तृत शोध करने की आवश्यकता पुरातत्व विभाग को है
दंतकथा एवं श्रुति कथा के अनुसार विराटनगर वर्तमान लखनपुर पांडव लोग अज्ञातवास के दौरान यहां पर रहे इस दौरान रानी द्रोपती राजा बिराठ की महारानी की सेवा मे तैनात थी,जहा बिराठ केसेनापति व महारानी के भाई महाबली कीचक ने रानी द्रोपती से दुर्व्यवहार किया था,जिस कारन् महबली भीम ने किचक का बध कर दिया था,पूरे बैराठ मे बडा आश्चर्य हुआ की महाबली कीचक को कोंन मार् सकता है, इस बात् का पता हि नही लग सका की कीचक को किसने मारा,
जिस स्थान पर मारा राम गंगा नदी के किनारे कीचक घाट है और वहां पर के खेतों का नाम
कीचकसेरा,है
सेरा मैदान खेत को कहते हैं
मेरे गांव का मुकुट यानी सिर्फ असुरकोट मैं कीचक का महल था मेरे घर से दूरी 4 किलोमीटर हैं
पांडव कल में स्थान का नाम विराट नगर था फिर बाद में ब्रह्मपुरी कहलाया और जब कस्तूरी लोग स्वतंत्र प्रशासन करने लगे इसका नाम लखनपुर पड़ा जो राम गंगा नदी के किनारे बसा है, विराट नगरी के दक्षिणी छोर के तरफ राम पादुका मंदिर है मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी के हैं वहां पर मंदिर में शिव की मूर्ति तथा रामचंद्र जी के चरण विराजमान है कहते हैं बद्रीनाथ और देवप्रयाग जाते समय वे इसी मार्ग से गए मैदानी क्षेत्र से जोशीमठ बद्रीनाथ देवप्रयाग केदारनाथ जाने का मार्ग पहले से यही था हल्द्वानी और रामनगर मोटर मार्ग बद्रीनाथ को इसी स्थान से गुजरते हैं
आने वाले यात्रियों का मार्ग भी
यहां से चारों दिशाओं को मार्ग सुलभ है यह क्षेत्र वर्तमान चौखुटिया शहर के अंदर आता है जिसका एक नाम गनाई भी है जो गणेश मंदिर के अनुसार पड़ा इसके बारे में मैंने पहले ग्रुप में एक लिख डाला था गणेश मंदिर संबंधी इतिहास

यहां से करण प्रयाग 89 किमी,रानीखेत 56 किमी,द्वराहाट 19 की,मी, गैरसैण 34 की,मी,मासी 11 किमी,बद्रिनाथ् धाम 216 किमी,,की दूरी पर स्तिथ है,यहां से इन सभी जगहों के लिए सरल व सुगम मार्ग सुलभ है, मेरे गांव की दूरी मोटर मार्ग से 14 किलोमीटर पैदल 5 किलोमीटर है
सन् 1960 रामनगर बदरीनाथ हाईवे बना जो इसी विराटनगर होते हुए जाता है जहां पर कीचक मारा वहां पर बहुत बड़ा नदी के अंदर एक तालाब है जिसको स्थानीय भाषा में *तितिनियां रौ* कहते हैं मोटर बना मार्ग बनाते समय एक बड़ा पत्थर मिला जिस पर लिखा था कीचक को किसने मारा फिर आगे लिखा था मैंने मारा मैंने मारा *भीमशेन* योर पत्थर का शिलालेख मोटर निर्माण मार्ग के भेंट चढ़ गया इसी प्रकार लखनपुर कोर्ट से सन 1960 में ही मोटर मार्ग मेरे गांव के तरफ हो गई पहाड़ी पर उसे स्थान पर असुरकोट जौरासी है और मोटर मार्ग में लखनपुर महल के खंडहर पत्थर के अवशेष मोटर मार्ग के भेंट चढ़ गए ठेकेदार ने उसके पत्थर चुराकर मोटर मार्ग के दीवाल बनाने में प्रयोग कर दिए लोगों में जागरूकता की कमी थी मोटर मार के पास से अभी भी एक गुफा नदी की ओर जाती हैं तथा एक पानी की बावड़ी वर्तमान में भी विद्यमान है जो उसे जमाने के हॉट बाजार के शीर्ष में है,

यह गेवाड घाटी को रंगीली बैराठ घाटी भी कहा जाता है,इसका तहसील व ब्लॉक चखुटिया मे हे,गेवाद् के बीचो बिच रामगँगा नदी बहती है,यह बैराठ घाटी काफी समतल व विस्तृत है जिस कारण यह बहुत उपजाऊ घाटी है,हम कत्युरियो के लिए यह बहुत पवित्र तीर्थ स्थान की तरह है की तरह है, वर्तमान में यहां पर भारत सरकार ने जमीन को समतल देखते हुए एयर फोर्स के लिए एयरपोर्ट बनाने हेतु जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है जिसका विरोध स्थानी लोग कर रहे हैं यह क्षेत्र लगभग 20 किलोमीटर मैदान घटी है और बीच में नदी बहती है तथा घाटी के दोनों तरफ से सुंदर हरे भरे जंगल और गांव है।
पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है पुराने किले के रखरखाव हेतु डॉक्टर लक्ष्मण सिंह मनराज जी ने बहुत कुछ काम किया था और इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को विशेष रुचि लेनी चाहिए लखनपूर जौरासी, असुर गड़ी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित करना चाहिए

पाली पछम खली में को को राजा!
बुढा राजा सासन्दी को पाट
गोराराई को पाट, सांवलाराई को पाट
नीली चौरी, उझाना को पाट
मानचवाणी कौ घट लगयों
दौराहाट में दौरा मंडल चिणों
खिमसारी हाट में खेल लगयों
रणचुलिहाट में राज रमायो आसन्ती देव
आसन्ती को बासन्ती देव

अजोपिथा, गजोपिथा ,नरपिथा ,प्रथीरजन, प्रथ्वीपाल, सुर्य तपनी बालक राजा धाम देव जय हो —
जै जिया 👏👏🚩

चंदन सिंह मनराल

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments