Pragati Bhaarat:
भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी, जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण है। यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है।नई बदलाव करते विश्व में आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की क्या संभावना है
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, या एआई, वह तकनीक है जो कंप्यूटर और मशीनों को मानव बुद्धि और समस्या-समाधान क्षमताओं का अनुकरण करने में सक्षम बनाती है।नई बदलाव करते विश्व में आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की क्या संभावना है दुनियाभर में AI यानी Artificial Intelligence को लेकर लोगों के बीच जॉब सिक्योरिटी को लेकर बहस छिड़ चुकी है. एआई के बढ़ते प्रभुत्व ने ‘व्हाइट कॉलर जॉब्स’ को भी इसकी जद में ला दिया है. हालांकि, इसे लेकर लोग दो मतों में बंटे हैं. एक का कहना है कि इससे नौकरियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगीं. वहीं, कुछ का कहना है कि AI लोगों के जीवन में कई मौके लेकर आने वाला है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या एआई भविष्य में नौकरियों की संभावनाएं पैदा करेगा या फिर नौकरियों के लिए खतरा बन जाएगा
जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है AI
सवाल उठ रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किस तरह के काम लिए जा सकते हैं? दरअसल, एआई से हर तरह के काम लिए जा सकते हैं. चिंता इसी बात की है. अभी से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. बहुत से ऐसे काम हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ही हो रहे हैं. मसलन, सेल्फ ड्राइविंग कार आ रही है. गूगल मैप तो पहले से ही हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. इसके साथ ही फेस डिटेक्शन, वॉइस रिकॉग्निशन, टेक्स्ट ऑटोकरेक्ट, ऑटोमेटेड ट्रांसलेशन, चैटबॉट, ई-पेमेंट, एपल का सिरी (Siri) फीचर और अमेजॉन की एलेक्सा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदाहरण हैं
. आने वाले दिनों में ये लिस्ट और बड़ी होती जाएगी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर होने वाली बहस और भी तीखी होगी.
धोखाधड़ी के लिए एआइ सबसे मजबूत हथियार बन रहा है। ऐसे गॅ एआइ प्लेटफार्मों का सही और विवेकपूर्ण इस्तेमाल हो, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में एक साझा संकल्प पारित किया है। एआइ की नई चुनौतियों, नियमन और इससे जुड़ी सतर्कता पर चर्चा कर रहे
कोई नई तकनीक आती है, ज तो अक्सर जाने-समझे बगैर विरोध शुरू हो जाता है, लेकिन उसके चमत्कारों से परिचित होते ही लोग बिना सोचे-समझे प्रयोग भी शुरू कर देते हैं। आज जब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रभाव से कोई अछूता नहीं है, तो इसके दुरुपयोग का भी सवाल उठ खड़ा हुआ है। मशीनी मेधा (एआइ) जिस तरह वित्त, विनिर्माण से लेकर कृषि, स्वास्थ्य देखभाल जैसे अनेकानेक क्षेत्रों की कार्यपद्धति बदल रही है, उससे आर्थिकी उत्थान और जनसेवाओं का स्वरूप चमत्कारिक ढंग से बदलने लगा है। दूसरी ओर, इसके खतरे भी अब सामने हैं
एआइ का सही और सुरक्षित प्रयोग
व्यवधान पैदा करने की ताकत:
टेक्स्ट और इमेज तैयार करने वाले एआइ माडल अवैधानिक, अवांछित सामग्री पेश कर रहे हैं, तो वहीं वायस इमिटेशन साफ्टवेयर किसी के स्पीच पैटर्न का गलत इस्तेमाल कर धोखाधड़ी, अफवाह फैलाने में मददगार हो रहे हैं। चैटबाट से परीक्षाओं में गड़बड़ी की आशंका तो हर वक्त बनी हुई है। एआइ प्लेटफार्म मानवीय और निजी अधिकारों, डाटा सुरक्षा में सेंधमारी के लिए बिल्कुल नए तरह के ईंधन हैं। कुल मिलाकर, एआइ का दांव आसान नहीं है।
कापीराइट से जुड़े मुद्दे
किसी एआइ माडल की • ट्रेनिंग के लिए व्यापक डाटा सेट की आवश्यकता होती है। ऐसे में कापीराइट वाले किसी मैटर से एआइ माडल की ट्रेनिंग क्या उचित है? क्या मूल लेखक को कंपनी इसका मुआवजा देगी? या फिर इस तरह की सामाग्री का किस हद तक प्रयोग किया जा सकता है ? कापीराइट से जुड़े इन प्रश्नों का जवाब अनिवार्य है । कापीराइट के मामलों का समाधान अलग-अलग अदालतों के जरिये नहीं हो सकता। ऐसे में एआइ के समुचित प्रयोग को नियमबद्ध करना आवश्यक है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट आई है. जिसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर नई बहस हो रही है.
‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स: 2023’ शीर्षक वाली
इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे अगले पांच सालों में एआई और टेक्नोलॉजी मिलकर लाखों वर्कर्स की नौकरियां खाने जा रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच सालों में लगभग 8.3 करोड़ लोग अपनी नौकरियां गंवा देंगे. सबसे ज्यादा एडमिन और एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी, कैशियर, डाटा एंट्री और टिकट क्लर्क, डाक सेवा क्लर्क, बैंककर्मी जैसे पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां जाएंगी.
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