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वैज्ञानिकों ने बनाया खुद खत्म होने वाला प्लास्टिक – vartatv

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Pragati Bhaarat:

खत्म हो जाने वाला प्लास्टिक विकसित किया है, जिससे उन्हें प्रदूषण कम करने में मदद की उम्मीद है।

विज्ञान संयुक्त राज्य अमेरिका
वैज्ञानिकों ने बनाया खुद खत्म होने वाला प्लास्टिक

खुद ही खत्म हो जाने वाला प्लास्टिक विकसित किया है, जिससे उन्हें प्रदूषण कम करने में मदद की उम्मीद है।

United States of America Scientists Create Self-Degrading Plastic

Scientists have developed a plastic that is designed to self-degrade, with the hope of aiding in pollution reduction. United Kingdom Scientists Develop Self-Degradable Plastic to Aid in Pollution Reduction.

United Kingdom Scientists Create Self-Degrading Plastic to Aid in Pollution Reduction.

अमेरिका के पैकेज ने एक नई तरह का प्लास्टिक विकसित किया है जो खुद ही खत्म हो जाता है। उन्होंने पॉलियूरीथेन प्लास्टिक में एक फैब्रिक को जोड़ा है। यह प्लास्टिक प्लास्टिक खा जाता है और इस तरह का प्लास्टिक खुद ही ख़त्म हो जाता है।

प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका नेचर कम्यूनिकेशंस में छपे एक शोध में इस प्लास्टिक के बारे में बताया गया है। वैद्य के अनुसार इस प्लास्टिक में प्रयुक्त प्लास्टिक टैब तब तक निष्क्रिय रहता है जब तक कि प्रयुक्त प्लास्टिक प्लास्टिक में रहता है। लेकिन जब वह रि-कार्ट में मौजूदा तत्वों के संपर्क में आता है तो सक्रिय हो जाता है और प्लास्टिक को खाने लगता है।

दुर्भाग्यपूर्ण में मदद
सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हान सोल किम का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि यह खोज “प्राकृतिक प्लास्टिक उत्पादन को कम करने में” बढ़ावा देगी। इसका एक लाभ यह भी हो सकता है कि प्लास्टिक प्लास्टिक को अधिक मजबूती से बनाया जा सके।

शोध में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक जोन पोकोर्सकी ने बीबीसी को बताया, “हमारे प्राकृतिक पदार्थ को अधिकांश खुरदुरा ने बनाया है। इससे उसका शोधन बढ़ता जा रहा है। और जब यह फिर से पूरा हो जाएगा तो हम इसे पर्यावरण से बाहर कर सकते हैं, दुर्लभ” यह किसी भी तरह से फेंक दिया जाता है।
अगली बार बनाया गया खुद ख़त्म होने वाला प्लास्टिक
डस्ट ने खुद ही खत्म हो जाने वाला प्लास्टिक विकसित किया है,

अमेरिका के पैकेज ने एक नई तरह का प्लास्टिक विकसित किया है जो खुद ही खत्म हो जाता है। उन्होंने पॉलियूरीथेन प्लास्टिक में एक फैब्रिक को जोड़ा है। यह प्लास्टिक प्लास्टिक खा जाता है और इस तरह का प्लास्टिक खुद ही ख़त्म हो जाता है।

प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका नेचर कम्यूनिकेशंस में छपे एक शोध में इस प्लास्टिक के बारे में बताया गया है। वैद्य के अनुसार इस प्लास्टिक में प्रयुक्त प्लास्टिक टैब तब तक निष्क्रिय रहता है जब तक कि प्रयुक्त प्लास्टिक प्लास्टिक में रहता है। लेकिन जब वह रि-कार्ट में मौजूदा तत्वों के संपर्क में आता है तो सक्रिय हो जाता है और प्लास्टिक को खाने लगता है।

दुर्भाग्यपूर्ण में मदद
सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हान सोल किम का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि यह खोज “प्राकृतिक प्लास्टिक उत्पादन को कम करने में” बढ़ावा देगी। इसका एक लाभ यह भी हो सकता है कि प्लास्टिक प्लास्टिक को अधिक मजबूती से बनाया जा सके।

शोध में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक जोन पोकोर्सकी ने बीबीसी को बताया, “हमारे प्राकृतिक पदार्थ को अधिकांश खुरदुरा ने बनाया है। इससे उसका शोधन बढ़ता जा रहा है। और जब यह फिर से पूरा हो जाएगा तो हम इसे पर्यावरण से बाहर कर सकते हैं, दुर्लभ” यह किसी भी तरह से फेंक दिया जाता है।”

प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया की एक बहुत गंभीर समस्या है। हर साल 35 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा धरती पर बढ़ रहा है। यह कचरा सिर्फ हवा में ही नहीं बल्कि खाने तक पहुंच चुका है और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है।

माइक्रोप्लास्टिक के रूप में यह पीने के पानी के माध्यम से भी शरीर के अंदर जा रहा है। साल 2021 में बेरोजगारी ने एक अजन्मे बच्चे के गर्भनाल में माइक्रोप्लास्टिक पाया था और भ्रूण के विकास पर प्रभाव “बड़ी चिंता” अभिव्यक्ति पर आधारित था।

परेशानी है प्लास्टिक
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनाईपी की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी योजना के साथ काम किया जाए तो दुनिया भर में प्लास्टिक से दूरी 2040 के अंत तक 4500 अरब डॉलर में बन सकती है। इसमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उत्पाद न करने से बचने वाली लागत भी शामिल है। ऐसे अवलोकन में सबसे ज्यादा पैसा प्लास्टिक के कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पर खर्च हो रहा है।

https://www.dw.com/hi/scientists-have-developed-a-self-digesting-plastic/a-68968115

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