नया वित्त वर्ष शुरू होते ही मोटर वाहन बीमा से जुड़े नए नियमों पर चर्चा तेज हो गई है। प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, यदि किसी वाहन मालिक के नाम पर पिछले वित्त वर्ष में दो या उससे अधिक लंबित चालान दर्ज हैं, तो उन्हें आगामी बीमा प्रीमियम में 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
फिलहाल यह प्रस्ताव मसौदा चरण में है और अभी तक लागू नहीं हुआ है, लेकिन इसके लागू होने की स्थिति में वाहन मालिकों को चालान भरने में अधिक सतर्कता बरतनी होगी। पॉलिसी के प्रभावी होने के बाद बीमा कंपनियां लंबित चालानों की स्थिति को ट्रैक करेंगी, जो एक व्यवहारिक और तकनीकी चुनौती साबित हो सकती है।
बीमा कंपनियां अपनाएंगी पॉइंट आधारित प्रणाली
बीमा प्रीमियम निर्धारण में पारदर्शिता लाने के लिए कंपनियां पॉइंट आधारित प्रणाली अपनाएंगी। यह प्रणाली टेलीमैटिक्स आधारित मूल्य निर्धारण पर आधारित होगी, जिसमें वाहन के व्यवहार, उसकी ड्राइविंग आदतें और उल्लंघन की जानकारी को शामिल किया जाएगा।
गलत चालान या डेटा में त्रुटि? करें अपील
यदि किसी वाहन मालिक को यह लगता है कि उसके ऊपर लगे चालान गलत हैं, तो वह संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपील कर सकता है। बीमा प्रीमियम निर्धारण से पहले इन रिकार्ड्स को सही करने का अवसर भी उपलब्ध रहेगा।
प्रमुख चुनौती: राज्य स्तरीय डेटा का एकीकरण
इस पूरे सिस्टम की सबसे बड़ी चुनौती राज्य स्तरीय ट्रैफिक डेटा को एकीकृत करना है। इसके लिए सड़क परिवहन मंत्रालय, राज्य परिवहन विभाग और बीमा कंपनियों को मिलकर एक सुरक्षित और साझा डेटा प्रणाली विकसित करनी होगी। हालांकि, भारत के डेटा संरक्षण कानूनों के तहत गोपनीयता और अनुपालन से जुड़ी चिंताओं को भी ध्यान में रखना होगा।
क्या करें वाहन मालिक?
वाहन मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर चालान भरें और अपने ट्रैफिक रिकॉर्ड को साफ रखें। इससे न केवल उन्हें बीमा पर अतिरिक्त खर्च से बचाव होगा, बल्कि भविष्य में किसी तरह की कानूनी और बीमा संबंधी जटिलताओं से भी राहत मिलेगी।