एरोन फिंच ने कहा कि 2024 टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए यह संन्यास का सही समय है। अब टीम मैनेजमेंट के पास आगे की तैयारी करने का समय भी रहेगा।
ऑस्ट्रेलिया की टी20 टीम के कप्तान एरोन फिंच ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया है। वह टेस्ट और वनडे क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके थे और अब उन्होंने टी20 से भी संन्यास का एलान किया। फिंच ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल टी20 कप्तान रहे हैं। उनके नेतृ्त्व में कंगारू टीम साल 2021 में पहली बार टी20 विश्व कप जीती थी। एरोन फिंच ने 76 टी20 और 55 वनडे मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी की।
फिंच ने कुल 254 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, इसमें पांच टेस्ट, 146 वनडे और 103 टी20 मैच शामिल हैं। फिंच ने अपने संन्यास को लेकर कहा “यह महसूस करते हुए कि मैं 2024 में अगले टी20 विश्व कप तक नहीं खेलूंगा, अब पद छोड़ने का सही समय है और टीम को उस टूर्नामेंट की योजना बनाने और उस पर अमल करने का समय देना चाहिए। मैं उन सभी प्रशंसकों को भी बहुत-बहुत धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने मेरे पूरे अंतरराष्ट्रीय करियर में मेरा समर्थन किया।”
जनवरी 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 मैच के जरिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से, फिंच ने 8,804 रन बनाए, जिसमें 17 वनडे शतक और दो टी20 शतक शामिल हैं। फिंच ने पिछले साल सितंबर में वनडे से संन्यास लिया था, लेकिन उन्होंने टी20 में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी करना जारी रखा। हालांकि, फिंच की अगुआई में कंगारू टीम अपने घर में लगातार दूसरी बार टी20 विश्व कप नहीं जीत सकी। फिंच ने इसी टूर्नामेंट में अपना आखिरी मैच खेला और 63 रन बनाए। हालांकि, पहले मैच में मिली हार के चलते यह टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंची।
साल 2020 में फिंच पुरुषों में टी20 क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी बने थे। उन्होंने 2018 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ सिर्फ 76 गेंदों पर 172 रनों की पारी खेली थी और टी20 में सबसे बड़े निजी स्कोर का रिकॉर्ड बनाया था। उनकी इस लाजवाब पारी में 10 छक्के और 16 चौके शामिल थे। वहीं, 2013 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ साउथेम्प्टन में 63 गेंदों में 156 रन बनाए थे। यह उस समय टी20 की सबसे बड़ी पारी थी और फिलहाल तीसरे नंबर पर है।
फिंच ने कहा “टीम की सफलता के लिए आप मैच खेलते हैं और 2021 में पहली बार टी20 विश्व कप और 2015 में घरेलू सरजमीं पर वनडे विश्व कप जीतना दो यादें होंगी जिन्हें मैं हमेशा संजोकर रखूंगा। 12 साल तक ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होना और कुछ महानतम खिलाड़ियों के साथ और उनके खिलाफ खेलना एक अविश्वसनीय सम्मान रहा है।”