प्रयागराज के कौंधियारा थाना इलाके में सोमवार सुबह क्राइम ब्रांच की टीम और आरोपी विजय उर्फ उस्मान के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में उस्मान को गोली लगी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को अस्पताल में ले जाया गया। जहां उसकी मौत की सूचना है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
उमेश पाल हत्याकांड में प्रयागराज पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उमेश हत्याकांड में शामिल एक शातिर शूटर को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। हत्याकांड के बाद से पुलिस को उस्मान की तलाश थी।
जानकारी के अनुसार, प्रयागराज के कौंधियारा थाना इलाके में सोमवार सुबह क्राइम ब्रांच की टीम और आरोपी विजय उर्फ उस्मान के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में उस्मान को गोली लगी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को अस्पताल में ले जाया गया। जहां उसकी मौत की सूचना है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
प्रयागराज पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने मुठभेड़ की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि उस्मान चौधरी ने ही उमेश पाल और सिपाही को पहली गोली मारी थी। आरोपी विजय उर्फ उस्मान पर 50 हजार का इनामी था।
इससे पहले, उमेश पाल और दोनों सिपाहियों की हत्या में शामिल अरबाज को पिछले सोमवार को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया गया था। शूटरों ने जिस क्रेटा गाड़ी से उमेश पाल पर हमला किया था, वह गाड़ी अरबाज ही चला रहा था। चकिया क्षेत्र में हमले में प्रयुक्त क्रेटा कार बरामद होने के बाद इंजन और चेचिस नंबर से पुलिस आरोपी अरबाज तक पहुंच गई।
सोमवार की दोपहर पीपल गांव इलाके में अरबाज के होने की सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की पुलिस को देखकर अरबाज ने फायरिंग की। जवाबी फायरिंग में अरमान को ढेर कर दिया गया। मुठभेड़ में धूमनगंज इंस्पेक्टर के दाहिने हाथ में भी गोली लगी थी।
आपको बता दें कि 2005 में हुई विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में उनके रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे। उमेश ने लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में राजू पाल हत्याकांड की पैरवी की थी। इसी कारण अतीक गिरोह से उनकी खुलेआम दुश्मनी हो गई थी। कचहरी में गवाही देने गए उमेश का 28 फरवरी 2008 को अपहरण कर लिया गया था।
अपहरण कांड में अतीक, उसके भाई अशरफ समेत कई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अपहरण के उसी मामले में बीते शुक्रवार को गवाही थी। उमेश वकील भी थे। वह अधिवक्ता की यूनिफार्म में अपने दोनों गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह के साथ गवाही के लिए जिला कचहरी गए थे।
24 मार्च शुक्रवार को करीब साढ़े चार बजे वे कार से वापस सुलेमसराय, धूमनगंज स्थित अपने घर के लिए चल दिए। जैसे ही गेट पर गाड़ी रोककर उमेश उतरे, पहले से घात लगाए बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी। उमेश गोली लगने से गिरने के बाद उठकर घर के भीतर भागे। साथ में उनकी सुरक्षा में लगे दोनों सिपाही भी उन्हें बचाने के लिए घर के अंदर भागे।
लेकिन, हमलावरों ने दुस्साहस का परिचय देते हुए घर के अंदर घुसकर स्वचालित हथियारों से लगातार गोलियां बरसाईं। इस दौरान बदमाशों ने बम भी चलाए। बम और गोलियों की बौछार से इलाका थर्रा गया। हमलावर वहां से बाइक से फरार हो गए। उमेश पाल, सिपाही संदीप और राघवेंद्र लहूलुहान पड़े थे।
तीनों को एसआरएन हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने करीब एक घंटे बाद उमेश पाल को मृत घोषित कर दिया। आजमगढ़ निवासी एक सुरक्षागार्ड संदीप निषाद की भी चिकित्सकों ने मौत की पुष्टि कर दी है। हालांकि कई दिन उपचार के बाद दूसरे सिपाही राघवेंद्र की भी मौत हो गई।