Pragati Bhaarat:
Bhagalpur Bridge उड़ीसा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे पर केंद्र सरकार को घेर रहे बिहार की नीतीश कुमार सरकार के सारे सिपहसलार अचानक गुम हो गए। मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट धाराशायी होने के कारण बिहार में विपक्ष हावी हो गया है। पुल पर राजनीति गरम करने के लिए सरकार ने ही विपक्ष को मसाला दे दिया है। सबसे बड़ा मसाला यही है कि आठवीं और अंतिम डेडलाइन 31 दिसंबर 2023 के हिसाब से काम हो रहा था और पुल गिरने पर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए, जबकि उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को पता था कि यह तो गिरेगा ही।
भाजपा को Bhagalpur Bridge हादसे से मिली राहत
रेल हादसे के कारण भाजपा परेशान थी। यह पुल गिरने के पहले भाजपा नेता ज्यादातर सवालों से बच रहे थे। कह रहे थे कि बालासोर रेल हादसे पर राजनीति करने वाले करते रहें, हम मरने वालों के प्रति सांत्वना जता रहे हैं। लेकिन, जैसे ही नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के इस तरह धाराशायी होने की खबर आई कि भाजपा के नेता मुखर हो गए। भाजपा नेताओं ने इसे नीतीश सरकार के भ्रष्टाचार का पुल बताया। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा से लेकर केंद्रीय मंत्री तक सामने आकर इसपर बयान देने लगे।
सरकारी बयान ने दे दिया और मसाला
1710 करोड़ की लागत से बन रहे भागलपुर के सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल को नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। 2014 में इसकी आधारशिला रखने के बाद से अबतक कई बार नीतीश इस पुल के फायदे गिना चुके हैं। अपनी यात्राओं में भी इसका जिक्र करते रहे हैं। पटना से सभी जिला मुख्यालयों की दूरी चार से छह घंटे की बनाने का लक्ष्य रखते हुए नीतीश इस पुल की उपयोगिता बताते रहे हैं। यही कारण है कि रविवार को जैसे ही पुल के इस तरह धाराशायी होने की खबर आई तो मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के आदेश दे दिए। जांच के इस आदेश की खबर मीडिया के जरिए आम आदमी तक पहुंची ही होगी कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दे दी कि आईआईटी रूड़की जांच रही है और सरकार को यह आशंका पहले से थी कि यह पुल गिर सकता है। सरकार की ओर से ही दो तरह के बयान से भाजपा को मसाला मिल गया।
Bhagalpur Bridge भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी भाजपा
Bhagalpur Bridge पुल गिरने के तत्काल बाद भाजपा ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया। भाजपा नेताओं ने इसे नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार का प्रमाण बताया। भाजपा नेताओं ने साफ-साफ कहा कि कुछ खास एजेंसियों पर नीतीश सरकार कई तरह से मेहरबान है। मियाद बढ़ाई जाती है। टेंडर की राशि बढ़ाई जाती है। इतनी मेहरबानी के बाद जब पुल गिरता है तो उसकी जांच पर खर्च किया जाता है। जांच में वक्त लगता है, लेकिन ऐसी गड़बड़ी दिखने के बावजूद बड़ी मछलियों को छोड़ दिया जाता है। भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार का सेतु बताते हुए साफ कर दिया है कि अब वह आगे भी महागठबंधन सरकार को इसी नाम पर घेरती रहेगी।
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