Pragati Bhaarat:
भारतीय संस्कृति, शिल्प और वास्तुकला की विविधता के साथ देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकारो ने अपने कलात्मक योगदान से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश किया.
नई संसद भवन अत्याधुनिक भव्य और तकनीकी सुविधाओं से युक्त हैं . वर्तमान के संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की यह नई इमारत तमाम तरह की सुरक्षा सुविधाओं से लैस हैं.
नई संसद भवन में लोकसभा मौजूदा संसद के आकार से तीन गुना बड़ी हैं , इस भवन की साज-सज्जा में भारतीय संस्कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्प और वास्तुकला की विविधता का भी समृद्ध मिलाजुला स्वरूप हैं
हरियाणा राज्य के पानीपत शहर निवासी प्रसिद्ध वास्तु सलाहकार
श्री सुनील कुमार आर्यन के आंकलन अनुसार यह संसद कई देशों की संसद का निरीक्षण करने के बाद वर्तमान सरकार द्वारा इस भवन का डिजाइन तैयार करवाया है.
इस भवन का तिकोना आकार भी वास्तु की दृष्टि से ही तय किया गया है. भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में त्रिभुज आकार का काफी महत्व है.
वैदिक संस्कृति में भी त्रिकोण का जिक्र मिलता है. हवन, पूजन आदि कई तरह के अनुष्ठानों के दौरान भी त्रिकोण आकृति और अल्पना बनाई जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से अनुष्ठान पूर्ण हो पाते है.
वास्तु सलाहकार सुनील कुमार आर्यन जी ने विशेष ध्यान दिलाते हुए बताया कि नई संसद का मुहूर्त माँ धूमावती जयंती पर हो रहा है यह तंत्र विद्या के अंतर्गत दस महाविधा में एक हैं भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी सदेव माँ भगवती के उपासक रहें हैं
रविवार 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन हैं, इस दौरान के मुहूर्त और कई अन्य विशेष योग हैं , जो इस दिन के आयोजन को भव्य बनाएंगे-
पंचांग- नुसार 28 मई 2023 के समय नई संसद भवन का उद्घाटन हो रहा हैं, इस दिन जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि हैं. हर्षण आयोग में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बालव करण के साथ साथ तंत्र की देवी माँ मां धूमावती का जयंती दिवस भी है
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माँ धूमावती जयंती मनाई जाती है. हिंदू धर्म में मां धूमावती को भगवान शिव की अर्धांगिनी कहा गया है. जो कि 10 महाविद्याओं में से एक हैं और इन्हें अलक्ष्मी के नाम से पूजा जाता है. मां धूमावती सातवीं महाविद्या हैं और इस दिन विधि-विधान के साथ इनका पूजन किया जाता है. कहते हैं कि मां धूमावती का पूजन करने से व्यक्ति को रोग व दरिद्रता से मुक्ति मिलती है. जो भी तंत्र साधना करते हैं उनके लिए माँ धूमावती जयंती बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है,
माँ धूमावती – माँ पार्वती का अत्यंत उग्र रूप हैं माँ धूमावती विधवा स्वरूप जिनका वाहन कौवा है तथा श्वेत वस्त्र धारण कर खुले केश रूप में हैं। माता धूमावती दस महाविद्याओं में एक हैं इनकी पूजा विशेष रूप से गुप्त नवरात्रि में भी की जाती है।
विधवा, भिक्षाटन, दरिद्रता, भूकंप, सूखा, बाढ़, प्यास रुदन, वैधव्य, पुत्रसंताप, कलह इनकी साक्षात प्रतिमाएं हैं। डरावनी शक्ल, रुक्षता, अपंग शरीर जिनके दंड का फल है इन सब की मूल प्रकृति में पराम्बा धूमावती ही हैं।
श्राप द्वारा क्षति पहुँचाना तथा संहारन करने की सभी क्षमताएं माता सती के धूमावती स्वरूप के कारण ही घटित होती हैं। क्रोधमय ऋषियों जैसे अंगीरा, दुर्वासा, परशुराम, भृगु आदि की मूल शक्ति धूमावती माता द्वारा ही प्रदान की गई हैं।
इसी महाशक्ति के आशीर्वाद सहित नई संसद के उद्घाटन को जोड़कर देखा जा सकता है क्योंकि वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी मां भगवती के परम भक्त हैं
1.:- इस दिन ग्रहों की स्थिति सूर्य वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में जबकि चंद्र सिंह राशि में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में स्थित हैं.
2. :- तिथि, मुहूर्त 12:00 बजे जब इसका उद्घाटन हैं, तो अभिजीत मुहूर्त चल रहा होगा, जो कि अत्यंत ही शुभ मुहूर्त माना जाता है.
उस दिन क्षत्रियों भी निर्मित हो रहा है जोकि अत्यंत शुभ माना जाता है. इसी दिन मासिक दुर्गा अष्टमी का पर्व होगा, तो साथ ही साथ माँ धूमावती माता की जयंती का विशेष पर्व ही होगा. विशेष रूप से यह शक्ति का दिन है, जो लोकतंत्र की शक्ति को विश्व पटल पर रखने वाला होगा
3.:- लग्न:- नई बिल्डिंग के उद्घाटन के समय स्थिर लग्न सिंह का उदय हो रहा हैं. स्थिर लग्न में उद्घाटन होने से इसकी कीर्ति लंबे समय तक रहेगी और लग्नेश सूर्य दशम भाव में विराजमान होकर प्रबल स्थिति में हैं, जो बताता है कि इसमें उपस्थित होकर सांसद काम पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं.
4.:- शनि की पोजीशन इस दिन उद्घाटन के समय शनि, कुंभ राशि में लग्न से सप्तम भाव में विराजमान होकर दिगवल्ली अवस्था में होंगे और शनि को प्रजा का कारक माना जाता है, जो कि हर तरीके से प्रजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा और समाज में और जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाएगा
5.:- सूर्य की पोजीशन राज कृपा के कारक सूर्य भगवान स्वयं दशम भाव में विराजमान होकर सत्ता पक्ष को प्रबल बल देने में सहायक बनेंगे.
6.:- एकादश भाव :- एकादश भाव में दशमेश शुक्र की उपस्थिति के कारण आर्थिक तौर पर मजबूती की स्थिति बनेगी और धन लाभ के योग बनेंगे.
7.:- मंगल की भूमिका चतुर्थेश और नवमेश मंगल, द्वादश भाव में नीच राशि गत होकर विराजमान होंगे. इस संसद भवन में बैठकर कुछ ऐसे निर्णय भी होंगे, जो सीमावर्ती इलाकों में शत्रु दमन को लेकर बहुत ही कठिन और प्रभावी साबित हो सकते हैं. हालांकि उनको लेकर कुछ विरोध भी हो सकते है.
दुनिया में भारत की स्थिति अधिक मजबूत द्वादश भाव के स्वामी चंद्र महाराज प्रथम भाव में विराजमान होंगे, जिससे विदेशी मेहमानों और विदेशी शक्तियों का सहयोग भी प्राप्त होगा, जो भारत को आने वाले समय में विश्व के सभी महत्वपूर्ण देशों के समकक्ष लाने वाला साबित होगा. नवम भाव में उपस्थित राहु और बृहस्पति दोनों ही समान अंशों पर होंगे और दोनों ही केतु के नक्षत्र में होंगे, जिससे यह कहा जा सकता आने वाले सालों में सभी धर्म को लेकर इस संसद भवन में कोई विशेष सोच विकसित हो सकती है. जिसे विरोध के बावजूद आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
नई संसद की विशेषता त्रिकोण के आकार में बनी होना है यह इमारत सत्व रजस और तमस को परिभाषित करते हुए षटकोण का आकार भी लेती है,
जो जीवन में षट् रिपू (छः मनोविकार) को दूर करने का संदेश देते हैं. इसके साथ त्रिदेव की झलक भी दिखाई देती है. जब हम इस नई इमारत को देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि एक त्रिभुज के साथ एक गोलाकार आकृति भी नजर आती है, जिसे शिव और शक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. जहां त्रिकोण रूप में शिव के त्रिशूल और शिवलिंग की परिकल्पना है, तो वहीं बिंदी के रूप में गोलाकार मां शक्ति की छाया नजर आती है और इन दोनों के मिलन से भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति हुई, जो सभी प्रकार की दुर्भावनाओं को दूर करते हुए शक्ति का संचार करने वाले माने जाते हैं.
ज्ञान, शक्ति और कर्म का संतुलन
ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के अनुसार ही यह नया संसद भवन यहां काम करने वाले लोगों नौकरशाहों और सांसदों को ज्ञान शक्ति और कर्म का पाठ पढ़ाएगा. कह सकते हैं कुछ बाधाओं को छोड़ दें तो नई संसद आने वाले सालों में भारत की चमकती छवि को पेश करेगी.