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बसही पर बुलडोजर चलते ही चंदन चौकी के व्यापारियों की धड़कनें हुईं तेज

बसही पर बुलडोजर चलते ही चंदन चौकी के व्यापारियों की धड़कनें हुईं तेज

जल्द मुक्त कराई जाएगी चंदन चौकी मंडी, कैलाश प्रकाश उप निदेशक

वीरेंद्र गुप्ता

पलिया कला खीरी । अवैध कब्जा किए हुए 103 व्यापारियों को मंडी अंतिम रूप से खाली कर देने के लिए 7 मई 2022 को नोटिस दी थी कि वे 25 मई 2022 तक संक्रमित भूमि पर से कब्जा हटा लें और अपना सामान भी उठा ले अन्यथा बलपूर्वक मंडी खाली कराई जाएगी और वह सामान भी वन विभाग के कब्जे में रहेगा दुधवा राष्ट्रीय उद्यान द्वारा इससे पूर्व भी वन भूमि छोड़ने के लिए नोटिसे दी गई थी जिनमें एक नोटिस 16.12.2018, को दी गई थी दूसरी नोटिस 28 जून 2019 को दी गई थी तीसरी नोटिस 30 जुलाई 2020 में दी गई थी और उसके बाद एक और नोटिस 1 दिसंबर 2021 को दी गई थी पर व्यापारियों ने वन भूमि खाली नहीं की व्यापारी वन भूमि पर अवैध कब्जा किए हुए हैं इन व्यापारियों को बेदखली बाद 1994 में दाखिल किया गया था जो विभाग के पक्ष में हो गया था इसके बाद 21 व्यापारीगण न खाली करने के बाद को लेकर हाई कोर्ट भी गए थे पर हाईकोर्ट ने भी 7 जुलाई 2011 को वन विभाग के बेदखली के आदेश को माना कर दिया था व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिली वन क्षेत्र की लगभग 2.158 हे. वन भूमि अतिक्रमित जमीन 103 व्यापारियों के कब्जे में है इन्होंने अंतिम नोटिस देने के बाद भी इसे खाली नहीं किया तो अंतिम नोटिस में कहा गया था कि आप को सूचित किया जाता है कि आप द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व पलिया कला के क्षेत्र उत्तर सुनारीरेंज के अंतर्गत टिहरी 23 की कक्ष संख्या जोकि आरक्षित वन भूमि है पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है भारतीय वन अधिनियम 1927 उत्तर प्रदेश संशोधन 2000 के धारा 61 वी के अंतर्गत की गई कार्यवाही में आप व्यापारियों को बेदखल किया जा रहा है इससे पूर्व भी कई नोटिस भेजी जा चुकी हैं अंतिम नोटिस से सूचित किया जाता है कि 25 मई तक वन भूमि में अवैध कब्जा हटाकर व सामग्री हटाकर कार्यालय को सूचित करें यदि नहीं सूचित करते हैं और सामग्री नहीं हटाते हैं तो बलपूर्वक वनभूमि खाली कराकर आप की सामग्री जप्त कर ली जाएगी पर चंदन चौकी के व्यापारियों ने मंडी खाली नहीं की है इधर दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के डिप्टी डायरेक्टर कैलाश प्रकाश ने विद्युत विभाग एवं वाणिज्य करके उप आयुक्त को इस संबंध में अवगत करा दिया है पर अभी तक विद्युत विभाग ने उनकी बिजली की लाइनें नहीं काटी हैं वाणिज्य कर विभाग ने उनका पंजीयन निरस्त नही किया है जब कोर्ट ने उनको अवैध कर दिया है तो अवैध कार्यों में संलिप्त लोगों का सहयोग करना भी अपराध की श्रेणी में आता है बताया जाता है कि कुछ अतिक्रमण कारी पिछले कई वर्षों पूर्व व्यापार की नीयत से आये और झोपड़ पट्टी डालकर रहने लगे जिन्हें वन विभाग ने इस आशय से छोड़ दिया की व्यापार करेंगे और चले जायेंगे मगर जैसे जैसे समय बीतता गया लोगों का कुनबा बढ़ता गया जब तक वन विभाग कुम्भकर्णी नींद से जागा तब तक पूरी सुपर मार्केट खड़ी हो चुकी थी इन सुपर मार्केट के दुकान मालिकों के पास न तो रहने की कोई कमी है और न ही रुपये पैसे की क्योकि जिन जिन स्थानों से इन लोगों का आगमन हुआ है वहां से यह लोग पहले से ही सम्पन्न है सूत्रों के मुताबिक आज के समय मे इन दुकान मालिकों के भारत के विभिन्न राज्यो राजस्थान हरियाणा दिल्ली उत्तराखंड पलिया कलां समेत कई जगहों पर बड़ी बड़ी बिल्डिंगे है जिनसे प्रति माह लाखों रुपए किराया आता है इसके आलावा स्थानीय एवं दूसरे राज्यो जहां के यह निवासी हैं वहां की बैंकों में नगदी समेत बड़ी बड़ी एफडी है भारतीय जीवन बीमा निगम में बड़ी बड़ी पालिसी चल रही है मंडी से हटवाने के साथ ही इनकी जांच इनकम टैक्स विभाग से होनी चाहिए कि जिससे गरीबी का चोला ओढ़े अतिक्रमण कारियों की असलियत का पता चल सके।

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