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राजस्थान में 10 साल से कम उम्र की बच्चियों से दरिंदगी का आंकड़ा बढ़ा

Pragati Bhaarat:

देशभर में दुष्कर्म के मामलों में नंबर-1 रहने वाले राजस्थान में एक और डराने वाला आंकड़ा सामने आया है। यहां 10 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के केस 2.79 फीसदी बढ़े हैं। वहीं, छोटी बच्चियों के साथ गैंगरेप की वारदात में भी इस साल 13.64 फीसदी की वृद्धि हुई है।

हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस साल महिलाओं के साथ हुईं दुष्कर्म की घटनाओं में 4.37 प्रतिशत की कमी आई है। लेकिन, सबसे चिंताजनकक और डराने वाली बात ये है कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म और गैंगरेप के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। ये खुलासा राजस्थान पुलिस की जून-2023 तक की मासिक रिपोर्ट में हुआ है।

हर साल बढ़ रहा आंकड़ा
राजस्थान पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार जून 2023 तक प्रदेश में 10 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के 848 मामले सामने आईं। साल 2022 में ये आंकड़ा 825 और साल 2021 में 694 था। यानी साल दर साल मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2023 में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले 2.79 प्रतिशत बढ़े हैं।

महिलाओं से दुष्कर्म के केस घटे
प्रदेश में 2023 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 2558 मामले सामने आए। पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादती के केस में 4.87 प्रतिशत की कमी आई है। इससे पहले 2022 में 2230 और 2021 में 2021 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था।

यहां बच्चियों को ज्यादा खतरा
बीकानेर रेंज में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले सबसे ज्यादा 37.33 फीसदी बढ़े हैं। जोधपुर रेंज में 8.51, भरतपुर 4.60, जयपुर रेंज में 3.20 और कोटा रेंज में 1.23 फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़ों के अनुसार इन रेंज में बच्चियों को ज्यादा खतरा है।

यहां बढ़े महिलाओं से दुष्कर्म के केस
जयपुर रेंज में महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं 7.84 प्रतिशत बढ़ी हैं। वहीं, बीकानेर रेंज में ये आंकड़ा 4.78 फीसदी है। बाकी अन्य रेंज में दुष्कर्म के मामलों में कमी आई है।

महिलाओं से जुड़े मामलों में पेंडेंसी 86.52 प्रतिशत हुई
प्रदेश में जून माह तक महिला अत्याचार के 38936 केस दर्ज हुए। पुलिस ने जांच कर 2331 मामलों में एफआर लगा दी। वहीं, 2919 मामलों में जांच के बाद अदालत में चालान पेश किया गया है। 86.52 प्रतिशत केस अभी पेंडिंग हैं।

अपने ही मासूमों को दे रहे दर्द
दुष्कर्म के ज्यादातर मामलों में पीड़िताओं के परिचित ही आरोपी हैं। ये बात भी राजस्थान पुलिस की रिपोर्ट में सामने आई है। यानी अपने ही मासूम बच्चियों को जिंदगी भर का दर्द दे रहे हैं।

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