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जयपुर बम ब्लास्ट में 71 मौतें और 185 घायल, 1293 लोगों की गवाही, फिर हाईकोर्ट से कैसे बरी हुए आरोपी?

Pragati Bhaarat:

13 मई 2008 गुलाबी नगरी की वो शाम, जब आतंकी जयपुर शहर को खून से रंग से रंग गए। परकोटे में 8 सीरियल बम ब्लास्ट मंदिरों के बाहर और मुख्य बाजारों में हुए। इनमें 71 लोगों की मौत हुई और 185 से ज्यादा घायल हुए। कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए मृत्युदंड दिया गया। इसके बाद बीते बुधवार को हाईकोर्ट से चारों आरोपी बरी हो गए।

कुल 9 बम जयपुर शहर में फिट किए गए, 8 में धमाके हुए, बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं। कई परिवार उजड़ गए। 1293 गवाह और कई सुबूत पेश हुए। फिर भी आरोपी बरी हो गए। यह जांच एजेंसी, एटीएस, राजस्थान सरकार की ओर से पैरवी पर बड़े सवाल खड़े करता है।

जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की डिविजनल बेंच ने सुनाया फैसला
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की डिविजनल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है। इसलिए जांच अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए DGP को निर्देश दिए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी जांच करने वाले अफसरों की जांच कराने को कहा है। निचली कोर्ट ने UAPA के तहत अलग-अलग धाराओं में चार आरोपियों को दोषी माना था और एक आरोपी को बरी भी कर दिया था। मामले में कुल पांच आरोपी थे। इस मामले में 24 गवाह बचाव पक्ष ने पेश किए थे, जबकि सरकार की ओर से 1270 गवाह पेश हुए थे। सरकार की ओर से वकीलों ने 800 पेज की बहस की थी। कोर्ट ने 2500 पेज का फैसला सुनाया था। तभी से चारों आरोपी जेल में बंद हैं।

ये थे आरोपी
आरोपी शाहबाज हुसैन निवासी मौलवीगंज यूपी को 8 सितंबर 2008, मोहम्मद सैफ निवासी सरायमीर आजमगढ़ यूपी को 23 दिसंबर 2008, मोहम्मद सरवर आजमी निवासी चांदपट्टी, आजमगढ़ यूपी को 29 जनवरी 2009, सैफ उर्फ सैफुर्रहमान निवासी आजमगढ़ यूपी को 23 अप्रैल 2009 और मोहम्मद सलमान निवासी निजामाबाद यूपी को तीन दिसंबर 2010 को गिरफ्तार किया गया था।

किसे कहां ब्लास्ट का दोषी माना गया था?
सरवर आजमी को चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखने में दोषी माना था।
सलमान को सांगानेरी गेट पर हनुमान मंदिर के पास बम रखने में दोषी माना था।
मोहम्मद सैफ को माणकचौक के पास बम रखने में दोषी माना था।
सैफुर्रहमान को छोटी चौपड़ के पास बम रखने में दोषी माना था।

8 प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज हुई थी
राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणी भी जांच एजेंसी और सरकार के सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े करती है। ब्लास्ट में पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए 11 साल 7 महीने के लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ा था। लेकिन हाईकोर्ट की ओर से आरोपियों के बरी हो जाने पर उन्हें बड़ा धक्का लगा है। इस केस में कुल 8 प्राथमिकी दर्ज की गई, 4 प्राथमिकी थाना कोतवाली में और 4 प्राथमिकी थाना माणक चौक में दर्ज की गई। चार्जशीट में 169 लोगों के बयान रखे गए थे। लेकिन सब धरे रह गए और आरोपी छूट गए।

राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणी: 29/03/2023
राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार 29 मार्च 2023 को जांच थ्योरी को गलत बताते हुए जयपुर बम धमाकों के उन चार आरोपियों को बरी कर दिया, जिन्होंने अदालत के समक्ष 28 अपीलें दायर की थीं। अपने फैसले में बेंच ने कथित तौर पर कहा कि जांच अधिकारी को कानूनी ज्ञान नहीं था। इसलिए जांच अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश डीजीपी को दिए गए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को जांच अधिकारी से जांच कराने को भी कहा है।

हाईकोर्ट ने एटीएस की पूरी थ्योरी को गलत बताया
आरोपियों की पैरवी कर रहे एडवोकेट सैयद सादात अली ने कहा-” हाईकोर्ट ने एटीएस की पूरी थ्योरी को गलत बताया है, इसलिए आरोपियों को बरी कर दिया गया है। ”

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