Pragati Bhaarat:
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना राहुल गांधी का समर्थन कर सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। बता दें कि रो खन्ना के राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि यह गांधीवादी विचारधारा और भारतीय मूल्यों से धोखा है। इसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने रो खन्ना को निशाने पर ले लिया है। बता दें कि रो खन्ना के दादा अमरनाथ विद्यालानकर कांग्रेसी नेता थे और इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री भी रहे। इसे लेकर रो खन्ना को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है।
सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आए रो खन्ना
एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘ऐसा लगता है कि रो खन्ना भूल गए हैं कि अमरनाथ विद्यालानकर (उनके दादा) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और इंदिरा गांधी सरकार ने जब देश में इमरजेंसी लगाई थी, उस वक्त वह सरकार का हिस्सा थे। उन्होंने इमरजेंसी के दौरान की गईं ज्यादतियों का विरोध नहीं किया था।’
फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘क्या आपके दादा ने इंदिरा गांधी का इमरजेंसी पर समर्थन नहीं किया था? वह हमेशा फासीवादी फैसले के समर्थन में नहीं रहे?’ सोशल मीडिया पर घिरने के बाद रो खन्ना ने सफाई देते हुए ट्वीट किया कि ‘यह दुखद है कि लोग मेरे दादा की छवि को खराब कर रहे हैं, जिन्होंने लाला लाजपत राय के साथ काम किया। वह 31-32 और 41-45 तक जेल में रहे। इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के फैसले का विरोध करते हुए उन्हें दो पत्र लिखे और इस फैसले के तुरंत बाद संसद छोड़ दी थी। मुझ पर हमला कर सकते हैं लेकिन भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं को निशाना मत बनाइए और तथ्य अहम होते हैं।’
रो खन्ना ने किया था राहुल गांधी का समर्थन
बता दें कि साल 2019 के एक मामले में सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि का दोषी मानते हुए बीते गुरुवार को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधि कानून के तहत दो साल या दो साल से ज्यादा सजा पाए जनप्रतिनिधियों की संसद सदस्यता रद्द होने का प्रावधान है और राहुल गांधी भी इस कानून के चलते अपनी संसद सदस्यता गंवा बैठे। इस पर रो खन्ना ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘राहुल गांधा की संसद सदस्यता रद्द होना गांधीवादी दर्शन और भारतीय मूल्यों से धोखा है। मेरे दादा ने इसके लिए सालों जेल में नहीं बिताए थे। रो खन्ना ने प्रधानमंत्री मोदी को टैग करते हुए लिखा कि आपके पास इस फैसले को पलटने की ताकत है और भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐसा किया जाना चाहिए।’