Pragati Bhaarat:
अंग्रेजो के समय की 100 मेगावाट की शानन जल विद्युत परियोजना पर हिमाचल प्रदेश पंजाब से अपना कब्जा मांगेगा। परियोजना की 99 साल की लीज 2024 में समाप्त हो रही है। इस मुददे को लेकर आज सुबह नौ बजे हिमालच के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठक होगी। यह बैठक ऐसे समय पर होगी जब पंजाब हिमाचल की ओर से जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर लगाए गए सेस को लेकर विरोध कर रहा है।
वाटर सेस को लेकर पहले ही विरोध कर रहा पंजाब हरियाणा
इसके अलावा भी पंजाब से जुडे हुए कई मुददे हैं जिनको लेकर दोनों मुख्यमंत्रियों की आपस में बात होगी। बीबीएमबी में हिमाचल सरकार की ओर से अभी कोई स्थाई सदस्य नियुक्त नहीं होता है। हिमाचल की ओर से सदस्य के तौर पर बीबीएमबी में आमंत्रित सदस्य बनाया जाता है। जबकि चेयरमैन की नियुक्ति में केंद्र सरकार की चलती है।
हिमाचल सीएम सुक्खू और पंजाब सीएम से बातचीत करेंगे
जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर हिमाचल सरकार का रायल्टी का मसला भी काफी समय से लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय इस विषय में तीन हजार करोड़ की रायल्टी देने के संदर्भ में पंजाब सरकार को कह चुका है। न्यायालय में इस विषय के एग्जीक्यूशन (कार्यान्वयन) को लेकर को लेकर हिमाचल की ओर से केस भी डाला गया है। जिसकी सुनवाई आगामी 11 अप्रैल को होगी। इन सभी मुददों पर सुक्खू आज पंजाब सीएम से बातचीत करेंगे।
यहां-यहां होती है पानी की आपूर्ति
शानन बिजलीघर सबसे पुराने में से एक है, जो आजादी से पहले पूरे अविभाजित पंजाब, लाहौर और दिल्ली को आपूर्ति करता था। यह बिजलीघर से ज्यादा एक पर्यटक स्थल है। दुनिया भर से हजारों पर्यटक बड़ौत घाटी तक हॉलेज वे ट्रकों और ट्रॉलियों की सवारी का आनंद लेने के लिए बरोट घाटी आते हैं।
यह है मामला
परियोजना वर्तमान में पीएसपीसीएल के नियंत्रण में है और परियोजना से पूरा राजस्व पंजाब सरकार को जाता है। 1936 में कमीशन, भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान, शानन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर हाउस का निर्माण 1925 में मंडी राज्य के शासक जोगिंदर सेन और एक प्रतिनिधि, कर्नल बीसी बट्टे के बीच निष्पादित 99 साल के लीज डीड के तहत किया गया था। 99 की समाप्ति- साल पुरानी लीज अब से नौ साल बाद 2024 में है।
दोनों सीएम से हो चुकी है बात
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की वाटर सेस को लेकर पंजाब हरियाणा के सीएम से बात हो चुकी है। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने दोनों राज्यों से कहा है कि यह सेस पानी पर नहीं है बल्कि जल विद्युत परियोजनाओं पर है। इसको लेकर दोनों राज्यों पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।