Pragati Bhaarat:
यूरोपीय देशों में रोजगार की तलाश में निकले सिरसा के बिट्टू के साथ फतेहाबाद, हिसार और कैथल के 40 से 50 युवक तीन महीने से अधिक समय से आर्मेनिया में फंसे हैं। जिस एजेंट के माध्यम से ये युवा देश से निकले थे उसने इन्हें आर्मेनिया में छोड़ दिया है। आर्मेनिया में काम न मिलने के कारण, इन्हें खाने के लाले पड़े हुए हैं। अब सभी युवक देश लौटने की गुहार लगा रहे हैं।
सिरसा के लकड़ांवाली निवासी अवतार सिंह ने बताया कि खेत और मकान गिरवी रखकर उन्होंने बेटे बिट्टू को 26 दिसंबर 2022 को जयपुर एयरपोर्ट से आर्मेनिया भेजा था। सिरसा के बालभवन रोड स्थित इमिग्रेशन सेंटर से उसने वीजा लगवाया था। आर्मेनिया में फंसे बिट्टू ने फोन पर बताया कि एजेंट ने उससे कुछ दिन आर्मेनिया में रहने के बाद यूरोप के किसी देश में डिलीवरी ब्वॉय का काम दिलाने का वादा किया था। इसके बदले प्रति माह 80 हजार से एक लाख रुपये वेतन मिलना था।
एजेंट ने वर्क परमिट दिलवाने के नाम पर उनसे सात लाख रुपये लिए थे, लेकिन आर्मेनिया में न तो किसी तरह का काम है और न ही खाने की कोई सुविधा। एजेंट ने जिस मकान में उन्हें ठहराया था वह भी चार-पांच दिन में किराया देने की कह रहा है। अगर किराया नहीं दिया तो मकान से बाहर निकाल दिया जाएगा।
वर्क वीजा के स्थान पर थमाया ई वीजा
बिट्टू के साथ फंसे सिरसा, फतेहाबाद, कैथल और करनाल के युवकों का कहना है कि आर्मेनिया पहुंचने के बाद उन्हें वहां की करेंसी भारत से कम होने की जानकारी मिली। वहां पहुंचने पर एजेंट ने वर्क परमिट की जगह ई-वीजा थमा दिया। यह ई-वीजा आर्मेनिया में केवल 21 दिन के लिए ही मान्य था। अब ये युवा अवैध रूप से देश में रह रहे हैं। ये सभी युवा अलग-अलग एजेंटों के माध्यम से आर्मेनिया पहुंचे हैं।
तुर्किये जाने का किया प्रयास, लेकिन पुलिस ने भगा दिया
बिट्टू ने बताया कि उसके साथ फंसे कुछ युवकों ने डोंकी (अवैध रूप से दूसरे देश में प्रवेश करवाने वाला) के जरिये तुर्किये में जाने का भी प्रयास किया था। लेकिन वहां की पुलिस ने उन्हें पीटकर वापस भेज दिया। इसके पश्चात सभी आर्मेनिया में रह रहे हैं। हालांकि कुछ युवकों ने घर से पैसे मंगवाकर वापसी की टिकट ले ली है।
यूरोपीय देशों में भेजने के लिए लिया जाता है अधिक सहारा
हरियाणा पंजाब के युवा अवैध रूप से सबसे अधिक यूरोपीय देशों में जाते हैं। एजेंट कई युवकों से छह से सात लाख तो कई से 10 से 12 लाख रुपये लेते हैं। जर्मनी, तुर्की, सर्बिया जैसे यूरोपीय देशों में वीजा लगवाने और डोंकी के माध्यम से भेजने का छह से सात लाख रुपये का पैकेज होता है।
ऐसे काम करते हैं एजेंट
यूपोपीय देशों में बेहतर रोजगार और कम खर्च में वर्क परमिट पाने के लिए युवा एजेंटों का सहारा लेते हैं। एजेंट सबसे पहले यूरोपीय देश की सीमा के साथ लगते किसी देश (सर्बिया या क्रोशिया) का वर्क परमिट या ई वीजा लगवा देता है। यहां से डोंकी का काम शुरू होता है। डोंकी के माध्यम से युवा यूरोपीय देशों आस्ट्रिया, जर्मनी या इटली में प्रवेश करते हैं। इनमें से कुछ तो सुरक्षित प्रवेश कर लेते हैं और कई युवकों को वहां की पुलिस हिरासत में लेकर वापस भेज देती है। हालांकि विदेश में काफी संख्या में लोग अवैध रूप से रहकर काम करते हैं और कुछ समय बाद वहां की सरकार उन्हें दस्तावेज भी दे देती है।