Home देश BJP Northeast Mission : लोकसभा सीटें भी दो चुनावों में दोगुनी हों गईं, क्या इसी अंदाज में होगा 2024 का चुनाव

BJP Northeast Mission : लोकसभा सीटें भी दो चुनावों में दोगुनी हों गईं, क्या इसी अंदाज में होगा 2024 का चुनाव

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BJP Northeast Mission : लोकसभा सीटें भी दो चुनावों में दोगुनी हों गईं, क्या इसी अंदाज में होगा 2024 का चुनाव

बात साल 2014 की है। केंद्र में जब पहली बार नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों की 26 लोकसभा सीटों में भाजपा को महज 8 सीटें मिली थी। 2019 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी की सीटों की संख्या दुगने के करीब पहुंचते हुए 15 हो गई। एक बार फिर 2024 का चुनाव है।

सियासी गलियारों में कयासों के दौर लगाए जाने लगे हैं। चर्चा यही हो रही है क्या भाजपा की जीत का रथ 2014 और 2019 के मुकाबले उसी गति से 2024 में पहुंचेगा या ब्रेक भी लगेगी। लेकिन भाजपा और विपक्षी दल नार्थ ईस्ट में जीत के अपने-अपने मायने तलाश कर मैदानी इलाकों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में सियासत का ताना-बाना बुनने में लग गए हैं।

पूर्वोत्तर के राज्यों में असम, मेघालय, मिजोरम,.अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड शामिल है। राजनीतिक विश्लेषक अभिरम बनर्जी बताते हैं कि इन आठ राज्यों में 26 लोकसभा सीटें आती हैं। 2014 में जब नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव लड़ा तो यहां पर सभी आठों राज्यों को मिलाकर भारतीय जनता पार्टी को 8 सीटें मिली थी।

वो कहते हैं क्योंकि केंद्र में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी और सीटें भी भारतीय जनता पार्टी को अच्छी मिली थी। इसीलिए भाजपा ने नार्थ ईस्ट में अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए केंद्र के न सिर्फ बड़े नेताओं को यहां का प्रभारी बनाकर जिम्मेदारी दी। बल्कि नॉर्थ ईस्ट के नेताओं को भी केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी देकर यहां के राज्यों को तवज्जो देनी शुरू कर दी।

बनर्जी कहते हैं कि 5 सालों में भारतीय जनता पार्टी ने नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में विकास के नाम पर काम भी खूब किया। यही वजह है 2014 के बाद इन राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनावों की भी तस्वीर बदलने लगी। नार्थईस्ट में भारतीय जनता पार्टी संगठन की मजबूती और केंद्र सरकार के विकास मॉडल की वजह से 2019 में भारतीय जनता पार्टी को यहां एक बार फिर बड़ी सफलता मिली। 2014 में जहां भाजपा को 8 सीटें मिली थी मई 2019 में भारतीय जनता पार्टी को 15 सीटें मिली।

राजनीतिक विश्लेषक और और पत्रकार रोहन मुखर्जी कहते हैं कि वैसे तो केंद्र में जिसकी सत्ता होती है नॉर्थ ईस्ट में अक्सर उसकी ही सीटें लोकसभा में भी ज्यादा ही होती हैं। लंबे समय तक कांग्रेस के शासन करने के चलते नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस की सरकारें भी रही और कांग्रेस का लोकसभा में नॉर्थ-ईस्ट से प्रतिनिधित्व भी रहा।

लेकिन 2014 में लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस का ग्राफ नॉर्थ ईस्ट में गिरने लगा। वो कहते हैं कि 2019 में जहां भारतीय जनता पार्टी पिछले लोकसभा चुनावों की तुलना में दोगुनी सीटों पर आई थी। वहीं कांग्रेस भी सिमट कर आधी पर रह गई।

सियासी जानकारों का कहना है कि बीते कुछ सालों में जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने नॉर्थ ईस्ट में अपने गठबंधन के साथ मजबूती से पैठ बनानी शुरू की है वह भाजपा को सियासत में फायदे का सौदा लग रही है। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि नार्थ ईस्ट में चुनी हुई सरकार का मतलब जनता का वह जनादेश ही है जो उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक जाना ही चाहिए।

भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि जो लोग नार्थ ईस्ट में इस जीत के मायने को सिर्फ नार्थ ईस्ट तक ही सीमित कर देना चाहते हैं दरअसल वह उसी सोच के लोग हैं जो 2014 से पहले तक नॉर्थईस्ट को एक किनारे पड़े रहने वाले राज्यों के तौर पर देखते थे।

उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी गठबंधन को नार्थ ईस्ट में मिली जीत को देश के प्रत्येक लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारे कार्यकर्ताओं की है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद जिस तरीके से भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के जश्न में शामिल हुए वह पूरे देश को संदेश देने भर के लिए पर्याप्त था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का जो ग्राफ 2014 से लेकर 2019 में लोकसभा चुनावों में बढ़ा है उस को बरकरार रखना ही नहीं बल्कि उसी स्पीड से बढ़ाना भारतीय जनता पार्टी की बड़ी चुनौती भी है। नार्थ ईस्ट में भारतीय जनता पार्टी की ओर से अलग-अलग राज्यों के चुनावी कमान संभालने वाले वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2014 में 8 सीटें जीतने के बाद जब 2019 का चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी ने दुगने के करीब पहुंचते हुए 15 सीटें जीती।

वह कहते हैं कि यह नॉर्थ ईस्ट के लोगों का भाजपा के लिए भरोसा ही है कि वह उनको 2024 में इस बार फिर उसी अनुपात में जिताने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी मानते हैं कि उनकी पार्टी नॉर्थ ईस्ट में कमजोर जरूर हुई है लेकिन ऐसा नहीं है कि 2024 के चुनावों में वह नॉर्थ ईस्ट में भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं है। उनका कहना है कि विधानसभा के चुनाव लोकसभा के चुनावों में बहुत अंतर होता है। कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दल नॉर्थ ईस्ट में मजबूती के साथ 2024 का चुनाव लड़ेंगे। 

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