Pragati Bhaarat:
ब्रिटेन के बाद अब अमेरिकी सरकार भी हरकत में आ गई है। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर सरकार ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया है। पुलिस ने दूतावास के चारो तरफ बैरिकेडिंग लगा दी है। वहीं, बुधवार को एक बार फिर से कुछ खालिस्तानी समर्थक दूतावास के बाहर जुटे। जिन्हें बैरिकेडिंग के दूसरी तरफ ही पुलिस ने रोक दिया। बता दें कि रविवार को भी यहां कुछ खालिस्तानी समर्थक पहुंचे थे और उन्होंने तोड़फोड़ की थी। तब दूतावास के बाहर कोई सुरक्षा नहीं थी। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार के सामने नाराजगी जताई थी।
तीन दिन पहले दूतावास में की थी तोड़फोड़
रविवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने इमारत के बाहर खालिस्तानी झंडे भी लहराए। जानकारी के मुताबिक, खालिस्तान समर्थकों ने नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने अस्थाई सुरक्षा व्यवस्था को धवस्त करते हुए वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगाए। हालांकि वाणिज्य दूतावास के दो कर्मचारियों ने जल्द ही इन झंडों को हटा दिया। इस दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने वाणिज्य दूतावास परिसर में प्रवेश किया और अपने हाथों में लगी छड़ों से दरवाजे और खिड़कियों पर हमला बोल दिया।
व्हाइट हाउस ने की थी निंदा, कहा था ये बिल्कुल अस्वीकार्य है
सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बाद व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ ‘बिल्कुल अस्वीकार्य’ है और अमेरिका द्वारा इसकी निंदा की जाती है। किर्बी ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से उस बर्बरता की निंदा करते हैं, यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। विदेश विभाग की राजनयिक सुरक्षा सेवा उचित जांच के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ काम कर रही है। राज्य विभाग नुकसान की मरम्मत के लिए बुनियादी ढांचे के परिप्रेक्ष्य में काम करेगा।’
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ हमले और संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर राजनयिक सुविधाओं के खिलाफ किसी भी हमले की निंदा करता है। हम इन सुविधाओं के साथ-साथ काम करने वाले राजनयिकों की सुरक्षा की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करते हैं।’
अमेरिका में रहने वाले सिख जता चुके हैं विरोध
लंदन, सैन फ्रांसिस्को समेत कुछ अन्य देशों में स्थित भारतीय कॉन्स्युलेट और हाई कमीशन पर खालिस्तानियों द्वारा हमलों की खबर से सिख समुदाय में खासा आक्रोश है। अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय के नेताओं ने इसको लेकर विरोध जताया है। सिख नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की और कहा कि खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
वाशिंगटन डीसी में रहने वाले सिख नेता जसदीप सिंह ने कहा, ‘हम सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास के बाहर हुई किसी भी हिंसा या लंदन में भारतीय ध्वज के अपमान की निंदा करते हैं। हर किसी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए और कोई हिंसा या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘आप मीडिया में जो कुछ भी देख रहे हैं कि अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान आंदोलन चल रहा है, वह सब बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उत्तरी अमेरिका में दस लाख से अधिक सिख रहते हैं और उनमें से केवल 50 भारतीय दूतावास के बाहर विरोध करने के लिए दिखाई देते हैं।’
सिख नेता बालगेंद्र सिंह शमी कहते हैं, ‘पंजाब में जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं यूनाइटेड किंगडम और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुई हिंसा की घटना की भी निंदा करता हूं। हम लोकतांत्रिक देश हैं, हमें विरोध करने का पूरा अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए।’
अब तक क्या-क्या हुआ?
भारत में वारिस पंजाब दे संगठन के जत्थेदार और खालिस्तानी अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इसी कार्रवाई से खालिस्तान समर्थक तमतमाए हुए हैं। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा समेत कई देशों में खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय दूतावासों पर हमला किया। लंदन में स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रदर्शन के दौरान खालिस्तानी समर्थकों ने तिरंगे का अपमान करने की कोशिश की। तोड़फोड़ भी की। इसी तरह अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को में भी भारतीय दूतावास पर खालिस्तानियों ने हमला कर दिया। अब ये खालिस्तानी समर्थक लगभग हर दूसरे दिन भारतीय दूतावासों के बाहर जुटकर प्रदर्शन कर रहे हैं।