Pragati Bhaarat:
नई दिल्ली 20 Mar 2023: किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 2024 के चुनाव में सभी पार्टियों को किसानों के रोष का सामना करना पड़ेगा। साथ ही कहा कि किसानों को अगर महापंचायत में जाने से पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों की 25 कंपनियां तैनात
किसानों की महापंचायत सोमवार को रामलीला मैदान में हो रही है। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि किसान नई दिल्ली पहुंच सकते हैं। ऐसे में नई दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पिकेट लगाकर वाहनों की चेकिंग की जाएगी। मध्य जिला पुलिस उपायुक्त संजय कुमार सैन ने बताया कि किसानों की महापंचायत को देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। दिल्ली पुलिस व अर्द्धसैनिकल बल की करीब 25 कंपनियां तैनात की गई हैं। जिले के सीनियर पुलिस अधिकारी हालत पर नजर रखेंगे।
कई मार्ग किए जाएंगे बंद, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
रामलीला मैदान में सोमवार होने जा रही किसान महापंचायत के चलते नई दिल्ली, दक्षिण दिल्ली व पुरानी दिल्ली में जाम लग सकता है। रैली में 15 से 20 हजार किसानों के आने की संभावना है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस रणजीत सिंह फ्लाईओवर, रामलीला मैदान के पास स्थित मार्ग और दिल्ली गेट से अजमेरी गेट चौक तक जेएलएन मार्ग से बचने की सलाह दी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसानों की संख्या को देखते हुए ट्रैफिक परिवर्तित किया जा सकता है और कई मार्ग बंद किए जा सकते हैं।
केंद्र से लिखित आश्वासन को पूरा करने की रखेंगे मांग
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सोमवार को महापंचायत में किसान, आदिवासी किसान, महिला किसान, खेत मजदूर और प्रवासी मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बेरोजगारी और बढ़ते व्यय और कम हो रही क्रय शक्ति पर इन नीतियों के प्रभाव के बारे में विस्तार से अपनी बात रखेंगे। केंद्र सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा को 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने और किसानों के समक्ष बढ़ते संकट के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग किसान नेता महापंचायत में करेंगे।
रामलीला मैदान में किसान महापंचायत आज, जुट रहे देश भर के अन्नदाता
प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए एसकेएम के नेताओं ने केंद्र सरकार पर कॉरपोरेट के साथ मिलकर विकास पर जोर देने की कड़ी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे कृषि आय में कमी हो रही है। कॉरपोरेट घराना अपने फायदे के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने की तरफ अग्रसर है।