Pragati Bhaarat:
पंजाब के मोहाली जिले के डेराबस्सी कस्बे में स्थित इंडस इंटरनेशनल अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में नया खुलासा हुआ है। इस रैकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का गिरोह चला रहा था। वह जरूरतमंद व्यक्ति को 16 से 25 लाख रुपये में किडनी बेचता था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गिरोह में शामिल लोग पैसे का लालच देकर गरीब आदमी से किडनी खरीदते थे और फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे मरीज का रिश्तेदार बताकर ट्रांसप्लांट किया जाता था। जांच में अस्पताल में कई अनियमितताओं का भी खुलासा हुआ है।
उधर, पुलिस ने एसपी (ग्रामीण) नवरीत सिंह विर्क के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। इसमें डेराबस्सी की एएसपी डॉ. दर्पण आहलूवालिया और थानाध्यक्ष डेराबस्सी जसकंवल सिंह सेखों भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक किसी भी मानव अंग के प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल को पहले स्वास्थ्य विभाग से मंजूरी लेनी होती है। इसके बाद अस्पताल के प्रमुख की अध्यक्षता में बोर्ड इसे मंजूरी देता है।
अगर किडनी देने वाला जरूरतमंद मरीज का रिश्तेदार है तो उसके दस्तावेजों के अलावा खून के डीएनए की जांच होती है लेकिन इस केस में मानक को पूरा नहीं किया गया। अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट का तीन साल के लिए मिला लाइसेंस जून माह में खत्म हो जाएगा।
एएसपी डॉ. दर्पण आहलूवालिया का कहना है कि अस्पताल को तीन साल पहले मानव अंग प्रत्यारोपण की अनुमति मिली थी। इस तीन साल के दौरान अब तक 34 लोगों की किडनी ट्रांसप्लांट की जा चुकी है। पुलिस जांच कर रही है कि ट्रांसप्लांट के दौरान नियमों का पालन किया गया है या नहीं। अब तक की जांच में अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख इसमें शामिल पाए गए हैं। अस्पताल की भूमिका की जांच चल रही है।
अस्पताल की ओर से नियमों के अनुपालन के संबंध में एएसपी का कहना है कि अभी दस्तावेजों और डीएनए की जांच नहीं की गई है। हालांकि जांच में सामने आया है कि किडनी ट्रांसप्लांट के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैले हैं और अस्पताल की ओर से जरूरतमंद को 16 से 25 लाख में किडनी बेची जाती थी।
अभिषेक ने कुछ दिन पहले ही खरीदा फ्लैट और गाड़ी
जांच में सामने आया कि अस्पताल के कोऑर्डिनेटर अभिषेक ने कुछ दिन पहले ही डेराबस्सी की एक पॉश सोसाइटी में लाखों रुपये की कीमत का फ्लैट खरीदा है। इसके अलावा कुछ दिन पहले ही नई गाड़ी भी खरीदी है। अभिषेक ने पिछले दो साल पहले ही अस्पताल में नौकरी ज्वाइन की थी और उनका वेतन 45 हजार रुपये प्रति माह था। इससे पहले अभिषेक पंचकूला के एक निजी अस्पताल में कार्यरत थे, जहां से उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप के बाद निकाल दिया गया था।
कपिल को असली बेटा दिखाने के लिए सतीश के परिवार संग फोटो खिंचवा रिकॉर्ड में डाली
कपिल को असली बेटा दिखाने के लिए सतीश के परिवार के साथ फोटो खिंचवाकर रिकॉर्ड में डाल दी। वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी फर्जी बनाया गया। रिकॉर्ड के साथ गांव पंचायत के दस्तावेज भी लगाए गए थे। यहां तक कि ब्लड और डीएनए रिपोर्ट में भी हेराफेरी की गई है।
क्या है मामला
सिरसा के रहने वाले कपिल (28) ने पैसों के लालच में सोनीपत निवासी सतीश तायल (53) का फर्जी बेटा अमन तायल (33) बनकर किडनी दी थी। किडनी ट्रांसप्लांट बीते छह मार्च को इंडस इंटरनेशनल अस्पताल में हुआ था। कपिल के मुताबिक फर्जी बेटे बनाने के सारे दस्तावेज अस्पताल में कार्यरत कोऑर्डिनेटर अभिषेक ने तैयार किए थे।
अभिषेक ने उसे किडनी के बदले 10 लाख रुपये देने की बात कही थी। आरोप है कि किडनी निकलवाने के बाद उन्हें घर भेजने के बजाय सिर्फ साढ़े चार लाख रुपये देकर एक कमरे में बंद कर दिया गया। साढ़े चार लाख रुपये में से उसने चार लाख रुपये अपने दोस्त की सलाह पर दोगुना करने के लालच में गंवा दिए। इसके बाद कपिल ने पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 पर शिकायत की और पुलिस ने उसे छुड़वा कर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। इस मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने कोऑर्डिनेटर समेत तीन के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
किडनी ट्रांसप्लांट के सभी दस्तावेजों की जांच कोऑर्डिनेटर अभिषेक की ओर से की जानी चाहिए थी। उसने चूक की है। डीएनए सैंपल जांच के लिए संबंधित लैब में भेजे जाते थे, सैंपल पास कैसे हुए, यह नहीं पता। इसकी पुलिस जांच कर रही है। इसमें अस्पताल की कोई भूमिका नहीं है। यह पहला मामला सामने आया है। बाकी किसी केस में ऐसी कोई बात नहीं है। -डॉ. रमनदीप सिंह, एमडी इंडस अस्पताल।