सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में अमेरिका बिना लाइसेंस के हथियार रखने और इस्तेमाल करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया। पीठ ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत भारत में किसी को भी हथियार रखने अनुमति नहीं है, जब तक कि अधिकृत न हो।
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि अमेरिकी संविधान के विपरीत, जहां हथियार रखने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, हमारे संविधान के तहत किसी को भी ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है। इसके पीछे सोच रही होगी कि सभी के जीवन को संरक्षित किया जाए। विशेष रूप से बिना लाइसेंस वाले हथियारों पर रोक इसलिए है। पीठ ने कहा, यदि इस मुद्दे को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो यह कानून के शासन के लिए एक बड़ा झटका होगा।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने बंदूक से गोली मारकर एक पीड़ित की हत्या करने के आरोपी 73 वर्षीय व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बिना लाइसेंस वाले हथियारों की बुराई पर ध्यान दिया।
इस मामले में याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया था। उस पर आरोप है कि उसने अन्य सह आरोपियों के साथ मिलाकर शिकायतकर्ता और सात अन्य पर कथित रूप से फायरिंग की थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच रंजिश के चलते ऐसा किया गया। याचिका में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट यह मानने में विफल रहा कि फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट के अनुसार, जो गोली चलाई गई थी, वह उसके पास से बरामद बंदूक से मेल नहीं खाती थी।