कोर्ट ने कहा कि वह कॉलेजियम से सिफारिश पर पुनर्विचार के लिए नहीं कह सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एडिशनल जज को स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं मिली।
एडवोकेट विक्टोरिया गौरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी और दलील देते हुए कहा था कि शपथ लेने वाले जजों को संविधान में आस्था रखनी चाहिए लेकिन जिनके नाम की अनुशंसा की गई है, उनके सार्वजनिक बयानों के चलते उनके नाम की सिफारिश को रद्द करना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह कॉलेजियम से सिफारिश पर पुनर्विचार के लिए नहीं कह सकते हैं।
एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने विक्टोरिया गौरी को एडिशनल जज बनाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार किया वहीं दूसरी तरफ विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में आज शपथ ले ली। इसके लिए मद्रास हाईकोर्ट का सर्कुलर पहले ही जारी हो गया था, जिसके तहत 10.35 बजे गौरी समेत पाच लोगों को शपथ दिलाई जानी थी। सर्कुलर के अनुसार, तय समय पर विक्टोरिया गौरी ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एडिशनल जज को स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं मिली क्योंकि उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां खास राजनीतिक जुड़ाव वाले लोगों को नियुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि जो तथ्य पेश किए गए हैं, वह साल 2018 में दिए एक भाषण के हैं और हमें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी विक्टोरिया गौरी के नाम की सिफारिश करने से पहले इन्हें देखा होगा।
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘कोर्ट में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक जुड़ाव रहा है लेकिन मैं 20 सालों से जज हूं और मेरा राजनीतिक जुड़ाव मेरे काम के आड़े नहीं आया है’।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया था। हालांकि विक्टोरिया गौरी को एडिशनल जज बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया था। मद्रास हाईकोर्ट बार काउंसिल से जुड़े कुछ लोगों का कहना था कि विक्टोरिया गौरी का बीजेपी से जुड़ाव रहा है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गौरी की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई।
याचिकाकर्ता ने एक अपुष्ट अकाउंट से 2019 में किए गए ट्वीट का भी हवाला दिया था और दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रही हैं। साथ ही गौरी पर ईसाई और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित टिप्पणियां करने का भी आरोप लगाया गया।