चीन का एक और जासूसी गुब्बारा लैटिन अमेरिका के ऊपर भी मौजूद है। माना जा रहा है कि चीन इन गुब्बारों के जरिए अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्र से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अगले हफ्ते के लिए तय अपनी चीन यात्रा को टालने का फैसला किया है। ब्लिंकन की तरह से यह कदम अमेरिकी राज्य मोंटाना के आसमान पर चीनी जासूसी गुब्बारे के दिखने के बाद आया है। दरअसल, शुक्रवार को ही अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से खुलासा किया गया था कि चीन का एक जासूसी गुब्बारा (स्पाई बैलून) कनाडा के बाद अमेरिका के आसमान में उड़ान भर रहा है। इतना ही नहीं शनिवार को सामने आया कि चीन का एक और जासूसी गुब्बारा लैटिन अमेरिका के ऊपर मौजूद है। माना जा रहा है कि चीन इन गुब्बारों के जरिए अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्र से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है।
बैलून घटनाक्रम में अब तक क्या हुआ?
चौंकाने वाली बात यह है कि यह स्पाई बैलून इतने दिनों तक बिना भनक लगे अमेरिकी महाद्वीप में उड़ान भी भरता रहा। इसके बारे में पहला खुलासा तब हुआ, जब यह अमेरिकी वायुसेना के एक अहम बेस वाले राज्य मोंटाना के ऊपर पहुंच गया। इसे लेकर आनन-फानन में रक्षा मंत्रालय ने चीन को नोटिस जारी किया। बाद में चीन के विदेश मंत्रालय ने स्वीकारा की यह उनका ही एक यात्री एयरशिप है, जिसका इस्तेमाल रिसर्च के लिए होता है। खासकर मौसम से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए। चीन का कहना है कि यह बैलून जाहिर तौर पर पश्चिमी हवाओं और सीमित स्व-संचालन क्षमता की वजह से अपने रास्ते से भटक गया।
तो आखिर ये स्पाई बैलून हैं क्या, जिन पर अलर्ट हुआ अमेरिका?
अमेरिका ने मोंटाना के ऊपर जिस जासूसी गुब्बारे की बात कही है, उनका इतिहास दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ा है। दरअसल, कैप्सूल के आकार के यह बैलून कई वर्ग फीट बड़े होते हैं। यह आमतौर पर जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखते हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर इनका इस्तेमाल मौसम से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए किया जाता रहा है। खासकर किसी एक तय क्षेत्र के मौसम को जानने के लिए। हालांकि, आसमान में जबरदस्त ऊंचाई पर उड़ने की अपनी इन्हीं क्षमताओं की वजह से इनका इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जाने लगा।
यह गुब्बारे जमीन से 24 हजार से 37 हजार फीट की ऊंचाई पर आसानी से उड़ सकते हैं, जबकि चीन का यह गुब्बारा अमेरिका के ऊपर इस वक्त 60 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा है। इसके चलते जमीन से इनकी निगरानी कर पाना काफी मुश्किल है। इनके उड़ने की यह रेंज कमर्शियल विमानों से काफी ज्यादा है। अधिकतर वाणिज्यिक एयरक्राफ्ट्स 40 हजार फीट की ऊंचाई तक नहीं जाते। इतनी रेंज पर उड़ान भरने की क्षमता फाइटर जेट्स की ही होती है, जो कि 65 हजार फीट तक जा सकते हैं। हालांकि, यू-2 जैसे कुछ और जासूसी विमान 80 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं।
सैटेलाइट से ज्यादा बेहतर जासूसी यंत्र हैं ऐसे गुब्बारे
अमेरिकी वायुसेना के एयर कमांड और स्टाफ कॉलेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह जासूसी गुब्बारे कई बार सैटेलाइट्स से भी ज्यादा बेहतर खुफिया यंत्र साबित होते हैं। दरअसल, यह सैटेलाइट के मुकाबले ज्यादा आसानी से और समय लेकर किसी क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं। इनके जरिए इन्हें भेजने वाले देश दुश्मन के खिलाफ ऐसी संवेदनशील खुफिया जानकारी जुटा सकते हैं, जो कि सैटेलाइट की दूरी की वजह से स्कैन करना मुश्किल है। इतना ही नहीं सैटेलाइट्स के जरिए किसी एक क्षेत्र पर नजर रखना काफी महंगा भी साबित हो सकता है, क्योंकि इसके लिए काफी कीमत वाले स्पेस लॉन्चर्स की जरूरत होती है। दूसरी तरफ जासूसी गुब्बारे सैटेलाइट से काफी कीमत में यही काम कर सकते हैं।
दूसरे विश्व युद्ध से चला आ रहा इस्तेमाल?
ऐसे जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। इनका इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध से ही चला आ रहा है। जापानी सेना ने इन गुब्बारों के जरिए अमेरिकी क्षेत्र पर बमबारी की कोशिश की थी। हालांकि, इनकी सीमित नियंत्रण क्षमताओं की वजह से अमेरिका के सैन्य निशानों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन कुछ बम रिहायशी क्षेत्रों में गिरे थे, जिससे कई आम लोगों की जान चली गई थी।
विश्व युद्ध के अंत के ठीक बाद अमेरिकी सेना ने ही सबसे पहले इनका जासूसी के लिए इस्तेमाल शुरू किया था। तब यह अमेरिका के प्रोजेक्ट जेनेट्रिक्स का हिस्सा बन गए थे, जिनके जरिए अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने कई देशों में खुफिया मिशन चलाए। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, अमेरिका ने इन जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल सोवियत और उसके साथी देशों से खुफिया जानकारी जुटाने के लिए भी किया।
चीन के जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका क्यों बौखलाया?
रिपोर्ट्स की मानें तो चीन का जासूसी गुब्बारा मोंटाना की मिसाइल फील्ड्स के ऊपर से गुजर रहा था। इसी क्षेत्र में अमेरिका के कुछ अहम हथियार भी रखे हैं। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि इस क्षेत्र से जुटाई जानकारी चीन के लिए सीमित कीमत की है। लेकिन किसी भी देश की तरफ से इस तरह की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
तो फिर गुब्बारे को मार क्यों नहीं गिरा रहा अमेरिका?
चीन को चेतावनी देने के बावजूद अमेरिका ने जासूसी गुब्बारे को न मारने का फैसला किया है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय- पेंटागन का कहना है कि गुब्बारे का आकार करीब तीन बसों के बराबर है। इसके अंदर काफी जासूसी उपकरण और पेलोड हो सकता है। चूंकि इसे मार गिराने पर गुब्बारे का मलबा अमेरिकी शहर पर ही गिर सकता है, इसलिए इसे अमेरिकी हवाई क्षेत्र से निकालना ही सेना की पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा इस गुब्बारे के इतनी ऊंचाई पर उड़ने की वजह से यह फिलहाल एयर ट्रैफिक के लिए खतरा नहीं है।